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महिला पुलिस कर्मियों से लूट की छानबीन करने गए एसपी सिटी ने कर दिया यह कांड पुलिस क्षेत्राधिकारी द्वितीय राजीव कुमार सिंह ने बताया कि सेक्टर-58 के प्लॉट नंबर ए-68 में पिछले 6 साल से कुछ लोग सेंट मार्टिन ऐडमिनिस्ट्रेटिव के नाम से सर्विस एजेंसी चला रहे थे। पिछले दिनों सेक्टर-62 के लावन्या अपार्टमेंट में रहने वाले राम प्रकाश शर्मा ने अपने किसी परिचित के बेटे का एमबीबीएस में दाखिला कराने के लिए इस एजेंसी के ऑफिस पर संपर्क किया। जिसके बाद आरोपियों ने नीदरलैंड की सेंट मार्टिन यूनिवर्सिटी के एमबीबीएस कोर्स में ऐडमिशन कराने की बात कही।
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शादी में आ रही हैं अड़चनें तो जरूर पढ़ें ये खबर, करें ये उपाय इसके बाद इन लोगों ने ऐडमिशन के लिए आने-जाने का खर्च और वीजा-वेरिफिकेशन की तमाम प्रक्रिया को पूरा कराने के लिए 35 लाख रुपये की डील की। साथ ही काम के एडवांस के रूप में 50 हजार रुपये भी ले लिए। इसके बाद फर्जी दस्तावेज बनाने की बात कहने लगे, जिस पर उन्होंने एफआईआर दर्ज करा दी। जिसके बाद पुलिस ने शिकायत दर्ज करके एजेंसी पर छापा मारकर वहां से सुशील कुमार, गाजियाबाद निवासी राघव सिंह, अनुज द्विवेदी, हरजीत सिंह और मारुत शर्मा को अरेस्ट कर लिया। इनके साथी वरुण सेठ, संजय शर्मा और ललित अरोड़ा अभी फरार हैं। जिनकी पुलिस द्वारा तलाश की जा रही है। इनमें अनुज द्विवेदी नोएडा ऑफिस में निदेशक है और राघव सिंह मुख्य वित्त अधिकारी जबकि हरजीत सिंह आईटी हेड का काम देखता है।
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यह सामान हुआ बरामद
पुलिस ने उनके ऑफिस से करीब 5 लाख रुपये, एक लैपटॉप, दो प्रिंटर, एक सीपीयू, डॉक्टर व पुलिस के फर्जी प्रमाण पत्र व मुहरों को बरामद किया है। फरार आरोपियों में संजय शर्मा एजेंसी का मालिक है और इन दिनों अमरीका में रह रहा है। वहीं वरुण सेठ काउंसलर और ललित अरोड़ा डायरेक्टर ऐडमिशन का काम करता है।
यह सामान हुआ बरामद
पुलिस ने उनके ऑफिस से करीब 5 लाख रुपये, एक लैपटॉप, दो प्रिंटर, एक सीपीयू, डॉक्टर व पुलिस के फर्जी प्रमाण पत्र व मुहरों को बरामद किया है। फरार आरोपियों में संजय शर्मा एजेंसी का मालिक है और इन दिनों अमरीका में रह रहा है। वहीं वरुण सेठ काउंसलर और ललित अरोड़ा डायरेक्टर ऐडमिशन का काम करता है।
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गठबंधन पर बोले जयंत चौधरी, ये पार्टी निभाएगी लोकसभा चुनाव में मुख्य भूमिकापुलिस के अनुसार ये लोग 12वीं पास करने वाले छात्रों को नीदरलैंड की सेंट मार्टिन यूनिवर्सिटी के एमबीबीएस में दाखिला दिलाने का काम करते थे। इसके लिए आवेदक को पुलिस सत्यापन, चिकित्सकीय प्रमाण पत्र और जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ती है। आरोपी आवेदकों से इन चीजों के लिए मोटी रकम लेकर खुद फर्जी पुलिस सत्यापन प्रमाण पत्र, जन्म तिथि प्रमाण पत्र और चिकित्सकीय प्रमाण पत्र बना लेते थे। ये लोग गाजियाबाद के डॉक्टर ए.आर.खान के फर्जी लेटर हेड का पिछले कई साल से इस्तेमाल कर रहे थे।
यह भी देखें-विरोध जताने के लिए किसानों ने अधिकारी को दिए टमाटर वहीं उन्होंने गाजियाबाद की शिप्रा पुलिस चौकी की फर्जी मोहर और लेटर हेड बना रखे थे, जिससे आवेदकों का पुलिस सत्यापन कर देते थे। सीओ ने बताया कि इस मामले में नीदरलैंड के दूतावास को पत्र लिखकर यूनिवर्सिटी के बारे में जानकारी मांगी जाएगी। साथ ही इस मामले में ठगी के शिकार अन्य लोगों को ढूंढने की कोशिश की जाएगी।