ग्रेटर नोएडा। अथॉरिटी में हुए लीजबैक घोटाले की जांच के लिए शासन के आदेश पर बनी 8 सदस्यीय एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद किसानों का गुस्सा उबल पड़ा है और रिपोर्ट के खिलाफ किसान लामबंद होने लगे हैं। किसान सेवा संघर्ष समिति ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया है कि सरकार और विकास प्राधिकरण के अधिकारी पूंजीपतियों के इशारे पर काम कर रहे हैं। किसानों ने अपनी जमीन शहर को बसाने के लिए दी लेकिन किसानों के हितों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है, जो किसानों के साथ एक धोखा है।
यह भी देखें: यूपी से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना तक लूटपाट करने वाले अंतरराज्यीय चेन लुटेरे गिरफ्तार किसान सेवा संघर्ष समिति की प्रवक्ता मनवीर भाटी ने कहा कि एसआईटी रिपोर्ट के बारे में जानकारी मिलने पर जब हम ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी के.के गुप्ता से मिले और उन्हें उनसे एसआईटी की रिपोर्ट मांगी तो उन्होंने जवाब दिया कि रिपोर्ट उनके पास नहीं आई है। इसके बाद हमने शासन से जानकारी हासिल की तो पता चला कि रिपोर्ट मिल चुकी है और विकास प्राधिकरण को भेजा जा चुका है। जानकारी यह मिली है कि बाहरी पूंजीपति व्यक्तियों की आबादी को शासन ने हरी झंडी दे दी है जबकि ग्रेटर नोएडा के मूल किसानों की आबादी के साथ उनको मिल चुके 6% प्लॉट को भी खत्म करने की सिफारिश की गई है।
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