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दरअसल, 9 मई को दिल्ली एयरपोेर्ट से अफ्रीकी मूल की एक महिला को गिरफ्तार किया गया था। इस महिला के पास से 24.7 किलो स्यूडोफेड्रिन बरामद किया था। महिला की निशानदेही पर एनसीबी की टीम ने ग्रेटर नोएडा के कासना थाना क्षेत्र के पी-4 में छापेमारी कर तीन विदेशी नागरिकों को करीब 400 करोड़ रुपये की ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है मौके से टीम को करोड़ों रुपये की कोकिन के अलावा 18 सौ किलो स्यूडोएफईड्रीन (ड्रग्स) बरामद किया। इन सभी की इंटरनेशल मार्केट में कीमत करीब 400 करोड़ रुपये बताई जा रही है। एनसीबी के अधिकारी ने बताया कि मौके से ड्रग्स के अलावा नोट गिनने की मशीन भी बरामद की है।किराए पर लिया हुआ था मकान जिस मकान से एनसीबी ने बड़ी मात्रा में ड्रग्स बरामद की है, यह एक आईपीएस अधिकारी का है। बताया गया है कि उन्होंने यह मकान विदेशियों को दिया हुआ था। उसके एवज में 24 हज़ार प्रतिमाह किराए के वसूलते थे। मजेदार बात यह भी है कि नाइजीरियन मूल के नागरिकों को किराए पर कमरा देते समय पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं कराया गया। वहीं आरोपियों ने मकान के चारों तरफ सीसीटीवी कैमरे लगाए हुए थे। मकान के आस—पास संदिग्ध को देखकर ये अलर्ट हो जातेे थे। उधर, आईपीएस डीपीएन पांडे ने ड्रग्स बरामदगी पर हैरानी जताई है। उन्होंने बताया कि आरोपियों ने पिछले एक साल से किराया भी नहीं दिया था। इसके अलावा बिजली का बिल भी बकाया है।
पुलिस और खुफिया विभाग पर भी उठ रहे सवाल लंबे समय से कासना कोतवाली क्षेत्र के पी-4 सेक्टर में यह गोरखधंधा चल रहा था। आरोपी यहां से नशे का कारोबार करते रहे, लेकिन इसकी भनक खुफिया विभाग और पुलिस को नहीं लगी। ग्रेटर नोएडा एजूकेशन हब के नाम से मशहूर है। यहां विदेशों से भी पढ़ाई करने के लिए आते है। यहीं वजह है कि सेक्टर व सोसायटी में अफ्रीकी भी रहते हैं। इससे पहले भी नशे के कारोबार में अफ्रीकी मूल के नागरिक जेल गए है। आरोप है कि पुलिस समय-समय पर जांच नहीं करती थी।