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हालही में चंद्रमोहन शर्मा लुकसर जेल से जमानत पर छूटकर बाहर आए थे। उनहोंने मानवाधिकार आयोग को लेटर भेजकर कैदियों की रिहाई की मांग की थी। दरअसल में मानवाधिकार आयोग को भेजे गए लेटर में चंद्रमोहन ने लिखा था कि लुकसर जेल में 20 बुजुर्ग कैदी हैं। उम्रदराज कैदियों की दुर्दशा के बारे में भी मानवाधिकार आयोग को अवगत कराया था। चंद्रमोहन का कहना है कि कानून में बुजुर्ग कैदियों की रिहाई का प्रावधान है। मूलरूप से बुलंदशहर निवासी चतर सिंह की उम्र 105 साल है। ये मथुरा में एक अपहरण व हत्या के मामले में वर्ष 2006 से जेल में सजा काट रहे है। ये पहले मथुरा जेल में बंद थे, लेकिन बाद में उन्हें लुकसर जेल में ट्रॉसफर कर दिया गया। चंद्रमोहन ने मानवाधिकार आयोग को भेजे लेटर में लिखा था कि 105 साल का यह बुजुर्ग ठीक से चल नहीं पाता है। उसे कुछ दिखाई भी नहीं देता है। उम्र बढ़ने के साथ में अक्सर बीमार भी रहते है। इनके अलावा घोड़ी बछेड़ा निवासी भंवर सिंह (85) हत्या के मामले में जेल में बंद है। गौतमबुद्धनगर के गांव चौड़ा निवासी खेमचंद (70) का एक पैर बीमारी के चलते कट चुका है। उसे आंखों से बेहद कम दिखता है। वहीं जेल अधीक्षक विपिन मिश्रा ने बताया कि शासन के निर्देश पर कैदियों की रिहाई संभव है। शासनादेश आने पर रिहा कर दिया जाएगा। अभी कोई शासनादेश नहीं मिला है।