सीसीटीवी में कैद हुई अपहरण की घटना
व्यापारी के बेटे के दिनदहाड़े अपहरण की घटना सीसीटीवी में कैद हो गई थी। पुलिस के पास मौजूद इस वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि जहां पर गाड़ी रुकी थी। वहां से कुछ दूरी पर एक दिव्यांग युवक पहले से खड़ा था। गाड़ी से उतरकर एक लड़की रेस्टोरेंट तक गई। वहां लड़की ने पनीर और रोटी का आर्डर दिया। इसके बाद एक ऑर्डर के लिए कुणाल को अपने साथ लेकर गाड़ी तक गई। यह भी पढ़ेंः योगी की कैबिनेट से इस्तीफा देंगे ओपी राजभर?, मऊ में गठबंधन को लेकर दिया बड़ा बयान वीडियो में दिख रहा है कि गाड़ी में दिव्यांग और लड़की ने कुणाल को कवर करते हुए उसका अपहरण कर लिया। इसके पांच दिन बाद कुणाल का शव बुलंदशहर में बरामद हुआ। इस मामले में सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद पुलिस ने कहा था कि कुणाल खुद से चलकर अपहर्ताओं के साथ गया है। इसके साथ ही इस मामले में ठीक से जांच-पड़ताल तक नहीं की गई।
जांच के नाम पुलिस ने की खानापूर्ति
व्यापारी के परिजनों का कहना है कि इस केस में पुलिस ने घोर लापरवाही बरती। परिजनों ने पुलिस को बताया कि घटना से करीब 20 दिन पहले बदमाशों ने व्यापारी कृष्ण कुमार पर भी फायरिंग की थी। इसके बाद भी पुलिस ने जांच के नाम सिर्फ खानापूर्ति की और मामले में घोर लापरवाही बरती गई। यह भी पढ़ेंः 6 से 11 मई तक आंधी के साथ भारी बारिश के आसार, मौसम विभाग की लेटेस्ट भविष्यवाणी इसी के चलते अपहरण के पांच दिन बाद कुणाल की बुलंदशहर में हत्या कर दी गई। बेटे की हत्या के बाद पुलिस के खिलाफ परिजनों में भारी आक्रोश है। इसे देखते हुए पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बीटा-2 थाने के SHO को लाइन हाजिर कर दिया है। साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने एसएचओ को किया लाइन हाजिर
इस मामले में नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बीटा-2 थाने के SHO को लाइन हाजिर कर दिया है। इसके साथ ही एसीपी रामकृष्ण तिवारी से जवाब तलब किया है। पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने एसीपी राम कृष्ण तिवारी से पूछा है कि इस सनसनीखेज वारदात के बाद आप क्या कर रहे थे। इसके साथ ही आपने अभी तक इस मामले में क्या कार्रवाई की है। यह भी पढ़ेंः सपाइयों ने चौराहे पर बांधे लाल और हरे रंग के गुब्बारे, 100 लोगों पर दर्ज की गई ‘दोहरी FIR’ कहा जा रहा है कि इन सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर एसीपी राम कृष्ण तिवारी पर गाज गिर सकती है। इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि अभी तक डीसीपी से इसको लेकर कोई सवाल-जवाब क्यों नहीं किया गया। अपहरण और हत्या जैसा संगीन अपराध होने के बाद भी डीसीपी ने अपने अधीनस्थों से इस मामले की जानकारी क्यों नहीं ली।