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समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव की सरकार में रिजल्ट का प्रतिशत इतना नहीं गिरा था। योगी सरकार में पिछले 5 साल की तुलना में रिजल्ट प्रतिशत कम रहा है। 2017 में यूपी हाईस्कूल का रिजल्ट 81.18 प्रतिशत रहा था, जबकि इस साल 75.16 प्रतिशत रहा है। 2018 में हाईस्कूल का रिजल्ट करीब 6 प्रतिशत गिरा है। वहीं 2017 में इंटरमीडिएट का रिजल्ट 82.62 प्रतिशत रहा था, जबकि इस साल 72.43 प्रतिशत रहा है। 2018 में इंटरमीडिएट के रिजल्ट में 10 प्रतिशत की गिरा है। यह भी पढ़ें
Up board results 2018:
यूपी बोर्ड के रिजल्ट का खत्म हुआ इंतजार, स्टूडेंट्स की बढ़ गई धड़कने, देखें वीडियो यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा सख्ती के बीच परीक्षाएं हुई थी। नकल के भरोस रहने वाले छात्रों में परीक्षा शुरू होते ही भगदड मच गई थी। माना जा रहा है कि सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में हुई परीक्षा के बाद स्टूडेंट्स के पास होने की संख्या में गिरावट आई है। दरअसल में इस बार एग्जाम से लेकर उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में संपन्न हुआ था।सपा सरकार में आए रिजल्ट पर नजर
2012 में हाईस्कूल 83.75 प्रतिषत और इंटर 89.40 प्रतिषत 2013 में हाईस्कूल 86.63 प्रतिषत और इंटर 92.68 प्रतिषत 2014 में हाईस्कूल 86.71 प्रतिषत और इंटर 92.21 प्रतिषत 2015 में हाईस्कूल 83.74 प्रतिषत और इंटर 88.83 प्रतिषत
2016 में हाईस्कूल 87.66 प्रतिषत और इंटर 87.99 प्रतिषत 2017 में हाईस्कूल 81.18 प्रतिषत और इंटर 82.62 प्रतिषत
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बोले नेता समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य फकीरचंद नागर ने बताया कि बीजेपी सरकार का ध्यान स्टूडेंट्स को अच्छी क्वालिटी की एजूकेशन देने की तरफ नहीं है। यहीं वजह कि रिजल्ट का प्रतिशत पिछले 5 साल के मुकाबले गिरा है। समाजवादी पार्टी ने एजूकेशन के स्तर को सुधारने के लिए शिक्षामित्रों को नियत किया था, लेकिन बीजेपी सरकार ने आते ही उनपर लाठियां भांजी। बीजेपी नेता श्रीचंद शर्मा का कहना है कि प्रदेश सरकार की मंशा स्टूडेंट्स को अच्छी एजूकेशन देने की है। प्रदेश सरकार ने नकलची स्टूडेंट्स और नकल कराने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की थी। यह उसकी नतीजा है। पिछली सरकारों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। नकल की वजह से प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स पीछे रह जाते है।