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मेरठ जोन केे नए एडीजी ने कहा- कोरोना वायरस से मुक्ति और अपराधों पर लगाम लगाने के काम चलेंगे साथ-साथ दरअसल, बिजेंद्र आर्य कबाड़ से सुंदर-सुदंर कलाकृतियां तैयार करते हैं। चाहे गमले हो, पंखा हो, कुर्सी हो या टेबल। वह सभी सामान से घर को सजाने के लिए तरह-तरह की कलाकृतियां अपने ही हाथों से तैयार करते हैं। बिजेन्द्र आर्य स्कूल के संस्थापक हैं और अपना सारा समय में स्कूल में ही देते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद से उनके पास कबाड़ के सामान को नया रूप देने का समय ही समय था। वह बताते हैं कि उनको कबाड़ के समान को देखकर ही नई-नई कलाकृतियां बनाने का आइडिया दिमाग में अपने आप ही जाता है। उनको कबाड़ के सामान से कलाकृतियां बनाने का उपाय अपने पिताजी से मिला था, क्योंकि उनके पिताजी भी अपना सारा समय प्राकृतिक चीजों को बनाने में लगाते थे। उसी प्रकार वह भी कभी भी खाली नहीं बैठते। हमेशा कुछ ना कुछ नया काम करते रहते हैं। नए-नए तरीके की कलाकृतियां बनाने में इजाद करते हैं।
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सावधान! यूपी के इस जिले में हो सकता है टिड्डियों का हमला, डीएम ने कहा— पटाखे फोड़ो उन्होंने बताया कि नई उम्र के बच्चों को खाली समय में सिर्फ मोबाइल पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि कबाड़ जैसे सामान से नई-नई तरीके से कलाकृतियां बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए। क्योंकि इससे उनका जल्दी से जुड़ाव हो जाता है। मोबाइल और लैपटॉप भी आज के दौर में जरूरी हैं, लेकिन जमीनी कलाकृतियों से जुड़ना भी उतना ही जरूरी है।