बीएससी की छात्रा ने प्रेमी से कहा, मेरे पिता को मार दो तो मैं तुम्हारे साथ… किसान केवल बागपत ही नहीं मेरठ, शामली, सहित 14 गन्ना मिलों पर अपना गन्ना डालते है। इसके बाद भी किसानों का गन्ना खेत में खराब हो जाता हैं। यही कारण है कि नेताआें के लिए गन्ना का भुगतान हमेशा राजनीतिक मुददा रहा है।जिसको लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार ने चुनाव के दौरान 14 दिन में गन्ना भुगतान कराने का वादा किया था। इसी के चलते प्रदेश के अन्य जिलों में गन्ना मिलों द्वारा किसानों का समय से भुगतान किया जा रहा है। लेकिन बागपत में भुगतान की स्थिति अलग है। दो-दो महीनों का बकाया भुगतान गन्ना मिलों पर है। पिछले कर्इ सालों से गन्ना का भुगतान न होने पर किसानों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही है।मलकपुर चीनी मिल ने भी पुराना भुगतान लगभग कर दिया है। वही आगे के भुगतान के लिए भी उस पर दबाव बनाया जा रहा है। जबकि गन्ना मिल बंद होने को जा रही है। चीनी मिलों पर किसानों के गन्ने का 392 करोड़ रुपये बकाया है।
मलकपुर चीनी मिल ने पिछले सत्र का भुगतान पूरा कर दिया, लेकिन वर्तमान सत्र के ही 332 करोड़ रुपये मिल पर बकाया है। जिसके चलते किसानों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिला गन्ना अधिकारी सुशील कुमार की माने तो पांच अप्रैल तक मलकपुर चीनी मिल पर वर्तमान में 33265.15 लाख रुपये, रमाला चीनी मिल पर 2871.26 लाख और बागपत चीनी मिल पर 3114.31 लाख रुपये बकाया है। चीनी मिलों को नियमानुसार भुगतान के निर्देश विभाग ने दिए हैं। वही बागपत के सांसद केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने लखनऊ जाकर सीएम
योगी आदित्यनाथ से भुगतान कराने की मांग भी रखी थी। भारतीय किसान युनियन के अध्यक्ष प्रताप गुर्जर का कहना है कि इस बार भाजपा की सरकार में गन्ना भुगतान समय से किया जा रहा है। गन्ना डालने की समस्या किसानों के सामने जरूर है। लेकिन मंत्री के प्रयास और उनकी मेहनत का लाभ किसानों को जरूर मिला है।