महिला सीट पर लड़ा था चुनाव, आयोग से मिली थी परमिशन
2001 में गोरखपुर मेयर की सीट महिला के लिए आरक्षित थी। आशा देवी उर्फ अमरनाथ पुरुष किन्नर थीं। ऐसे में उनकी शिकायत की गई और उनका पर्चा खारिज होने की स्थिति पैदा हो गई।
राज्य चुनाव आयोग के सामने उन्होंने तर्क दिया कि किन्नर चाहे पुरुष हो या महिला लेकिन वो कहलाएगी किन्नर ही। आयोग ने उनके तर्क को मान लिया। आशा देवी को महिला मानते हुए रिर्टनिंग ऑफिसर ने उनका पर्चा स्वीकार कर लिया।
बड़े अंतर से जीता था इलेक्शन
गोरखपुर के नरसिंहपुर इलाके के एक छोटे से मकान में रहने वाली किन्नर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी घर-घर जाकर नाचती गाती थीं। 2001 में गोरखपुर में जब मेयर का चुनाव हुआ तो आशा देवी ने सपा, भाजपा और तमाम राजनीतिक दलों के बीच निर्दलीय चुनाव लड़ा।
चुनाव के नतीजे आए तो उन्होंने सपा और भाजपा को चौंका दिया। आशा देवी के सामने सपा और भाजपा की कैंडिडेट मुख्य मुकाबले में भी नहीं दिखीं। उन्होंने दूसरे नंबर पर रहीं सपा की प्रत्याश अंजू चौधरी को 60 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। आशा देवी देश की पहली किन्नर मेयर बनी थीं। 2013 में उनका निधन हो गया था।