मान्यताओं के मुताबिक, जब शासक महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया था, तो उसने इस शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की। जब शासक यह शिवलिंग तोड़ने में असफल रहा तो उसने इस शिवलिंग पर इस्लाम का पवित्र कलमा गुदवा दिया। इसी वजह से मुस्लिम धर्म के लोग भी इस मंदिर में पूजा करते आते हैं।
100 साल पुराना है शिवलिंग
गजनवी का उद्देश्य यह था कि इस शिवलिंग की पूजा हिंदू न करें। वहीं, इसके विपरीत, यह शिवलिंग सांप्रदायिक एकता का प्रतीक बन गया। इस शिवलिंग की हिंदू और मुसलमान दोनों करते हैं। इस शिवलिंग को झारखंडी शिवलिंग भी कहा जाता है। लोगों में मान्यता है कि यह शिवलिंग 100 साल से भी पुराना है। यह भी पढ़ें