खादी कपड़ा पहनकर नेतागिरी शुरू कर दी
यह कहानी उस सफेदपोश माफिया की है, जो कभी श्रीप्रकाश शुक्ला का राइट हैंड हुआ करता था। कहते हैं अपराध के रास्ते पर चलते हुए कई मोस्ट वांटेड खादी कपड़ा पहनकर नेतागिरी शुरू कर देते हैं। इसकी लिस्ट तो काफी लंबी है। इसी लिस्ट में एक नाम है राजन तिवारी का जिसने पहले अपराध की दुनिया में नाम बनाया फिर खादी कपड़ा पहनकर नेतागिरी शुरू कर दी।
यह कहानी उस सफेदपोश माफिया की है, जो कभी श्रीप्रकाश शुक्ला का राइट हैंड हुआ करता था। कहते हैं अपराध के रास्ते पर चलते हुए कई मोस्ट वांटेड खादी कपड़ा पहनकर नेतागिरी शुरू कर देते हैं। इसकी लिस्ट तो काफी लंबी है। इसी लिस्ट में एक नाम है राजन तिवारी का जिसने पहले अपराध की दुनिया में नाम बनाया फिर खादी कपड़ा पहनकर नेतागिरी शुरू कर दी।
राजन तिवारी के अपराध से सियासत तक का सफर बेहद रोचक है
बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी को 18 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया गया। मोतिहारी पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस की साझा कार्रवाई में राजन तिवारी को रक्सौल इलाके से अरेस्ट किया गया था। लेकिन एक वक्त था जब उत्तर प्रदेश के मोस्ट वॉन्टेड राजन तिवारी बतौर विधायक बिहार विधानसभा में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। राजन तिवारी के अपराध से सियासत तक का सफर बेहद रोचक रहा है।
बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी को 18 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया गया। मोतिहारी पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस की साझा कार्रवाई में राजन तिवारी को रक्सौल इलाके से अरेस्ट किया गया था। लेकिन एक वक्त था जब उत्तर प्रदेश के मोस्ट वॉन्टेड राजन तिवारी बतौर विधायक बिहार विधानसभा में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। राजन तिवारी के अपराध से सियासत तक का सफर बेहद रोचक रहा है।
श्रीप्रकाश शुक्ला का गैंग ज्वाइन किया राजन तिवारी
90 के दशक के माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का राइट हैंड माने जाने वाले राजन तिवारी का नाम कई मामलों में सामने आया है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्में राजन तिवारी ने कॉलेज के वक्त से ही अपराध की राह पकड़ ली थी। यूपी के कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का गैंग ज्वाइन कर राजन तिवारी ने जवानी के दिनों में साफ कर दिया था कि वह इसी राह पर चलेंगे।
90 के दशक के माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का राइट हैंड माने जाने वाले राजन तिवारी का नाम कई मामलों में सामने आया है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्में राजन तिवारी ने कॉलेज के वक्त से ही अपराध की राह पकड़ ली थी। यूपी के कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का गैंग ज्वाइन कर राजन तिवारी ने जवानी के दिनों में साफ कर दिया था कि वह इसी राह पर चलेंगे।
श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर के बाद राजन तिवारी बिहार भाग गया
साल 1998 में दुर्दांत श्रीप्रकाश शुक्ल, पूर्व विधायक राजन तिवारी के साथ 4 बदमाशों के खिलाफ गोरखपुर कैंट पुलिस ने गैंगस्टर कार्रवाई की थी। इसी साल श्रीप्रकाश शुक्ल को UP STF ने मुठभेड़ में मार गिराया था। जबकि बाकी के दो बदमाशों की भी मौत हो गई है। वही श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर के बाद राजन तिवारी बिहार भाग आया। यहां आकर उन्होंने फिर से गैंग बना लिया।
साल 1998 में दुर्दांत श्रीप्रकाश शुक्ल, पूर्व विधायक राजन तिवारी के साथ 4 बदमाशों के खिलाफ गोरखपुर कैंट पुलिस ने गैंगस्टर कार्रवाई की थी। इसी साल श्रीप्रकाश शुक्ल को UP STF ने मुठभेड़ में मार गिराया था। जबकि बाकी के दो बदमाशों की भी मौत हो गई है। वही श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर के बाद राजन तिवारी बिहार भाग आया। यहां आकर उन्होंने फिर से गैंग बना लिया।
UP STFके डर से राजन तिवारी बिहार में रहकर ही अपने डर के साम्राज्य को चलाने लगे। इसी दौरान राजन तिवारी का नाम बिहार सरकार के मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या में आया। इसके बाद पहली बार राजन तिवारी का नाम राष्ट्रीय स्तर पर तब फेमस हुआ, जब जब यूपी सरकार के विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही पर हमले में उनका नाम आया।
वीरेंद्र प्रताप शाही की कार पर करवाया फायरिंग
यूपी के महराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही मूल रूप से गोरखपुर कैंट के निवासी थे। 24 अक्टूबर 1996 को वह गोलघर कार्यालय से अपने घर जा रहे थे, वे कैंट में एक लॉज के पास पहुंचे तो उनकी कार पर बदमाशों ने जमकर फायरिंग की थी। हमले में शाही की जांघ में गोली लगी थी। लेकिन उनके गनर जयराम की मौत हो गई थी।
यूपी के महराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही मूल रूप से गोरखपुर कैंट के निवासी थे। 24 अक्टूबर 1996 को वह गोलघर कार्यालय से अपने घर जा रहे थे, वे कैंट में एक लॉज के पास पहुंचे तो उनकी कार पर बदमाशों ने जमकर फायरिंग की थी। हमले में शाही की जांघ में गोली लगी थी। लेकिन उनके गनर जयराम की मौत हो गई थी।
राजन तिवारी का सियासत के गलियारे में वर्चस्व बना रहा
इस वारदात में श्रीप्रकाश शुक्ला और राजन तिवारी समेत चार लोगों को आरोपी बनाया गया था। लेकिन एक भी सबूत न मिलने के अभाव में राजन तिवारी को साल 2014 में बरी कर दिया गया था। बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में राजन तिवारी 15 साल चार महीने जेल में रहे, लेकिन सियासत के गलियारे में वर्चस्व बना रहा। इसी वजह से जेल जाने से पहले राजन तिवारी ने अपने ऊपर लगे दाग को छुपाने के लिए खादी पहन ली।
इस वारदात में श्रीप्रकाश शुक्ला और राजन तिवारी समेत चार लोगों को आरोपी बनाया गया था। लेकिन एक भी सबूत न मिलने के अभाव में राजन तिवारी को साल 2014 में बरी कर दिया गया था। बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में राजन तिवारी 15 साल चार महीने जेल में रहे, लेकिन सियासत के गलियारे में वर्चस्व बना रहा। इसी वजह से जेल जाने से पहले राजन तिवारी ने अपने ऊपर लगे दाग को छुपाने के लिए खादी पहन ली।
इसके बाद वो वह राजनीति में सक्रिय हो गए। यही वजह है कि जेल जाने से पहले और रिहा होने के बाद भी राजनीति में सक्रिय रहे। राजन तिवारी बिहार के गोविंदगंज क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। लंबे समय तक जेल में रहने के चलते सियासत के गलियारे में थोड़ी कमी जरूर आई।
लखनऊ में BJP की सदस्यता ली थी राजन तिवारी
जेल से बाहर आने के बाद राजन तिवारी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लखनऊ में BJP की सदस्यता ली थी। इसपर काफी विवाद हुआ जिसके बाद उन्हें साइडलाइन कर दिया गया। इससे पहले उन्होंने 2016 में BSP ज्वाइन किया था, लेकिन वहां से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने BJP का रुख किया।
जेल से बाहर आने के बाद राजन तिवारी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लखनऊ में BJP की सदस्यता ली थी। इसपर काफी विवाद हुआ जिसके बाद उन्हें साइडलाइन कर दिया गया। इससे पहले उन्होंने 2016 में BSP ज्वाइन किया था, लेकिन वहां से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने BJP का रुख किया।