गोरखपुर

अटल जी को गोरखपुर में ससुराल की खीर खूब भाती, मां के मरने के बाद छुट्टियां बीताने आते रहे

भारतीय राजनीति के अजातशत्रु की अनसुनी दास्तां

गोरखपुरDec 25, 2017 / 12:48 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

गोरखपुर। वह भारतीय राजनीति के अजातशुत्र हैं। राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता से उपर उठकर हमेशा देश के लिए खड़े रहे। अपने दल मंे जितना सम्मान पाए उससे कई बढ़कर विरोधी दलों ने उनको मान दिया। उन्होंने जब भी बोला जो भी बोला सार्थक बोला। सोच-समझ कर बोला। तभी तो वे राजनीति रूपी काजल की कोठरी से बेदाग निकले। विपक्षी भी उनको हमेशा कायल रहा। हम बात कर रहे हैं हरदिल अजीज राजनीतिज्ञ भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई की। अटल जी की बात हो और गोरखपुर उनको याद न करे। शायद ही ऐसा हो। याद भी क्यों न करे, गहरा नाता जो है उनका यहां से। अलीनगर के माली टोले का कृष्णा सदन इस नाते की गवाही आज भी देता है। यह घर अटलजी की कहानी सुनाते नहीं अघाता।
दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के बड़े भाई प्रेम बिहारी बाजपेई की शादी गोरखपुर के स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित की बेटी रामेश्वरी उर्फ बिट्टन से वर्ष 1940 में हुई थी। यही वह वक्त था जब पहली बार किशोर अटल बाबा गोरक्षनाथ की धरती पर पहली बार पधारे थे। तब कोई नहीं जानता था कि सुंदर कदकाठी वाला यह किशोर एक दिन पूरे देश की मानसपटल पर छा जाएगा। तब अटल बिहारी बाजपेयी यहां सहबाला बनकर आए थे।

बड़े भाई के सालों से खूब पटरी थी, सास मां जैसा प्यार करती

मथुरा प्रसाद दीक्षित के दो पुत्र कैलाश नारायण दीक्षित व सूर्यनारायण दीक्षित थे। उनसे उम्र में अटल जी थोड़े छोटे पर उनकी खूब पटती थी। अटल जी की मां जबतक जीवित थीं तब वे ग्वालियर छुट्टियां बीताते थे लेकिन उनके निधन के बाद वे गोरखपुर आने लगे। जानने वाले बताते हैं कि यहां बड़े भाई के ससुराल में उनको बहुत मान-सम्मान मिलता था। दीक्षित बंधुओं की मां फूलमती उनका खास ख्याल रखती थीं। वह एक मां की तरह उनका ख्याल रखती। यहां सभी लोग अटलजी के शौक से वाकिफ थे। उनको खीर आदि बेहद पसंद थे।
उनके खाने-पीने का सभी खूब ध्यान रखते थे। अटलजी को भी यहां घर जैसे वातावरण का एहसास होता था। हालांकि, राजनीति में आगे बढ़ने के बाद उनको बहुत कम समय मिलता था लेकिन जब कभी मौका पाते थे तो वह यहां जरूर आते थे।

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