इमरजेंसी बॉक्स को कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है। कंट्रोल रूम में बैठी महिला सिपाही हैलो बोलने वाले व्यक्ति जगह और परेशानी पूछती है। इसके बाद समस्या का समाधान कराने में जुट जाती है। बता दें कि आइटीएमएस के तहत अभी सिर्फ गोरखपुर में ये इमरजेंसी बॉक्स लगाए जा रहें हैं। अब तक 21 चौराहों पर इमरजेंसी बाक्स लगाए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि इन बाक्स को लगाने का उद्देश्य चौराहे पर कोई हादसा, लूट, छेड़खानी, मारपीट या अन्य कोई समस्या होने कंट्रोल रूम से मदद मांगना है।
यह भी पढ़े – उत्तर प्रदेश में दो गुने हो गए कोरोना के मामले, क्या है चौथी लहर की आशंका ऐसे मांग सकते हैं मदद इमरजेंसी बाक्स में लगी लाल बटन को दबाकर कोई भी व्यक्ति अपनी बात सीधे कंट्रोल रूम में पहुंचा सकता है। बटन दबाने के बाद जैसे ही संबंधित व्यक्ति कुछ बोलेगा, पूरी बात कंट्रोल रूम में सुनाई देने लग जाएगी। कंट्रोल रूम में बैठी महिला समस्या और जगह की जानकारी लेने के बाद तत्काल 112 नंबर पर फोन कर सहायता भेजेगी। यदि कोई हादसा हुआ है तो कंट्रोल रूम से एंबुलेंस की सहायता के लिए भी फोन किया जाएगा।
मशीन के साथ छेड़छाड़ और हो रहा दुरुपयोग चौराहों पर लगी मशीनों के साथ लोग छेड़छाड़ कर रहे तो कहीं मौज मस्ती में ही बटन दबाकर प्रतिक्रिया देने लगते हैं। कंट्रोल रूम में जैसे ही आवाज आती है। वहां बैठी महिला सिपाही आवाज सुनते ही हरकत में आ जाती है। महिला बोलती है, ‘आपकी आवाज आ रही है, कंट्रोल रूम से आपको क्या मदद चाहिए।’ इतना करने के बाद लोग वहां से भाग निकलते हैं।