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गोरखपुर

यूपी के इस योगी से दुनिया ने सीखा योग, विराट कोहली भी हैं इनके फैन

International Yoga Day 2024: पूरी दुनिया में क्रिया योग का पाठ पढ़ाने वाले परमहंस योगानंद का जन्म गोरखपुर में हुआ था। असल मायने में वेस्ट कल्चर का योग से किसी ने असल में परिचय कराया तो वह योगानंद ही थे। भारत के स्टार क्रिकेटर विरोट कोहली भी इनके मुरीद हैं।

गोरखपुरJun 21, 2024 / 01:57 pm

Aman Pandey

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International Yoga Day 2024: गोरखपुर का नाम सुनते ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि आंखों के सामने आ जाती है। इसके अलावा गोरखपुर की पहचान कराने में धार्मिक ग्रंथ का प्रकाशन करने वाले गीता प्रेस की भी बड़ी भूमिका है। हालांकि इससे इतर गोरखपुर की पहचान में एक युवक की भी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। जो दुनिया में योग का पहला ब्रांड एंबेसडर बना। हम बात कर रहे हैं मुकुंद नाथ घोष की। जो बाद में परमहंस योगानंद के नाम से मशहूर हुए।

गोरखपुर में हुआ था परमहंस योगानंद का जन्म

मुकुंद नाथ घोष यानी योगानंद का जन्म 5 जनवरी 1893 को गोरखपुर के मुफ्तीपुर मोहल्ले में हुआ था। उनके पिता भगवती चरण घोष रेलवे कर्मचारी थे। वह मूलत: बंगाल के निवासी थे, जिनकी पोस्टिंग उस गोरखपुर में थी।

परमहंस की 17 साल में हुई गुरु से मुलाकात

‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ योगी’ किताब को परमहंस योगानंद ने खुद ही लिखा था। इस किताब के मुताबिक, योगानंद शुरुआत से ही सधुक्कड़ी मिजाज के थे। 17 साल में उनकी मुलाकात हुई स्वामी युक्तेश्वर गिरि से। वह योगानंद युक्तेश्वर गिरि के शिष्य बन गए और उनके साथ रहने लगे।
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ऐसे आया अमेरिका जाने का विचार

परमहंस योगानंद ने 1915 में यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वापस अपने गुरु के पास लौट आए और योग का प्रशिक्षण लिया। 1917 में छात्रों को योग और ध्यान सिखाने के लिए पश्चिम बंगाल के दिहिका में एक स्कूल खोला। 1 साल बाद ही ये स्कूल रांची शिफ्ट हो गया। इसके कुछ सालों बाद ही उन्हें अहसास हुआ कि भारत के आध्यात्मिक ज्ञान को पश्चिम देशों में लाने का यह सही टाइम है।

अमेरिका में किया भारत का प्रतिनिधित्व

1920 में परमहंस योगानंद अमेरिका चले गए। यहां बोस्टन में इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ रिलीजियस लिबरल्स में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। योगानंद ने अमेरिका में योग को लेकर जागरुक करना शुरू किया। 1924 में वह लॉस एंजेलिस पहुंचे। 1925 में माउंट वॉशिंगटन होटल को खरीदा और तभी वहां एक संस्था शुरू की। सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप के नाम से। 1920 से लेकर 1952 तक अमेरिका में रहे और योग का प्रचार-प्रसार किया। उनकी वजह से यूरोप में भी योग को लेकर लोगों के अंदर जागरुकता में इजाफा हुआ। उस वक्त अमेरिका और यूरोप के प्रभावशाली लोग परमहंस योगानंद से योग की शिक्षा लेते थे।

अब भी कायम है परमहंस योगानंद की लोकप्रियता

परमहंस योगानंद की मृत्यु 7 मार्च 1952 को लॉस एंजिल्स कैलिफोर्निया में स्पीच देते हुए हुई थी। वह 32 साल अमेरिका में रहे थे। मौत के 72 साल बाद भी वह अमेरिका में बहुत फेसस हैं। उनकी लोकप्रियता का इससे पता लगाया जा सकता है कि कि एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने अपनी मौत के बाद मेमोरियल सर्विस में आने वालों को ऑटो बायोग्राफी ऑफ योगी की एक प्रति देने को कहा था। स्टीव जॉब्स की 2011 में मृत्यु के बाद ऐसा किया भी गया। इसके अलावा भारतीय क्रिकेट स्टार विराट कोहली भी परमहंस योगानंद के फैंस हैं। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर उनकी किताब शेयर करते हुए इसकी जानकारी दी थी।
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क्रिया योग को देश-दुनिया तक पहुंचाया

क्रिया योग के पूरी दुनिया में फैलाने का सबसे ज्यादा श्रेय परमहंस योगानंद को ही जाता है। इसमें योग की वे प्रणालियां शामिल हैं जिनसे सेहत, आध्यात्मिक विकास, या एकता-चेतना का अनुभव हो।

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