Read this also: विजय व तूलिका ने जीता दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण इस तरह होता है चूना व पटाखा का प्रयोग कोहरा में ट्रेन दुर्घटना से बचने के लिए करीब डेढ़ सौ पुराना तरीका चूना-पटाखा (Lime and crackers) का प्रयोग पुराने तरीके से आज भी होता है। कोहरा में सिग्नल से एक किलोमीटर पहले ही चूना गिरा दिया जाता है। चूना देखकर चालक समझ जाता है कि सिग्नल आने वाला है। इसी तरह करीब 160 मीटर दूर पटाखा पटरी पर लगा दिया जाता है। जैसे ही इंजन पटाखा के उपर से गुजरता है तेज आवाज होती है। इस तेज आवाज से ट्रेन चालक समझ जाता है कि आगे सिग्नल है और वह ट्रेन की रफ्तार कम कर देता है।
रेलवे के अधिकारी व लोको पायलट (Loco Pilot) भी मानते हैं कि अत्याधुनिक फाॅग डिवाइस ट्रेनों में लगाने के बाद भी अत्यधिक कोहरा में सबसे अधिक भरोसेमंद पटाखा व चूना ही लगता है। सभी अन्य प्रकार के अत्याधुनिक उपाय के बावजूद आज भी चूना व पटाखा के साथ ट्रेनों के सुचारु संचालन का काम होता है।