सोमवार को ईद (शव्वाल) का चांद देखा गया। विभिन्न मस्जिदों में एतिकाफ में बैठे रोजेदारों ने एतिकाफ मुकम्मल कर अल्लाह का शुक्र अदा किया। मुस्लिम समाज के लोगों ने एक-दूसरे को मुबारकबाद दी। लोगों ने मुबारकबाद देने के लिए इंटरनेट मीडिया का सहारा लिया। घरों में ईद की तैयारी देर रात तक चलती रही।
गौसे आजम फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने चांद रात में जरूरतमंदों को ईद किट बांटी, जिसमें सेवईयां, चीनी व अन्य जरूरी सामान थे सुब्हानिया जामा मस्जिद, तकिया कवलदह के मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि ईद का त्योहार मिलजुल कर शांति के साथ मनाएं। ईद की नमाज अदा कर अल्लाह का शुक्र अदा करें। ईद मजहबी त्योहार ही नहीं है बल्कि यह इंसानियत का भी त्योहार है। यह उन एहसासों का त्योहार है, जो इंसानियत के लिए बेहद जरूरी हैं और उनकी बुनियाद हैं। यदि समाज का एक तबका अपनी जायज जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता है तो आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों की यह जिम्मेदारी है कि वह उसे खुशहाल जिंदगी बसर करने में मदद करें। यही अल्लाह के नेक बंदों का काम है।
गौसिया जामा मस्जिद, छोटे काजीपुर के मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि अमन माहौल में ईद का त्योहार मनाएं। शांति के साथ ईद की नमाज अदा कर दुआ मांगें। ईद अमीर-गरीब के बीच की खाई को पाटने में पुल का काम करती है। हजरत निजामुद्दीन औलिया ने कहा है कि अल्लाह के नजदीक वही इंसान होगा जो टूटे हुए दिलों पर मरहम लगाएगा और उन्हें खुशी देगा। जरूरतमंद लोगों की ईद को खुशगवार बनाने के लिए मुसलमानों को सदका-ए-फित्र देने का हुक्म दिया गया है। गरीबों व जरूरतमंदों की मदद करें।