मातृशक्ति के बिना सनातन समाज अधूरा : प्रोफेसर सुषमा पांडे
तत्पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित मातृ शक्तियों के साथ शस्त्र की पूजा हुई एवं आराध्य शक्ति स्वरूपा मां को याद किया गया।उपस्थित मातृशक्ति को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुषमा पांडे ने कहा कि महिलाओं के शास्त्र और शस्त्र ज्ञान से बच्चों में भी प्रतिभा का विकास होता है। मातृशक्ति के बिना सनातन समाज अधूरा है इसलिए हम माताओं -बहनों को बढ़-चढ़कर कार्य करना चाहिए। इस शस्त्र पूजन के अवसर पर हम संकल्प लें की हमें स्वयं शस्त्रों से सुसज्जित होकर अपने पीढ़ी को भी शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा देनी है ताकि हमारा देश और हमारा धर्म दोनों सुरक्षित रह सके। उन्होंने आगे कहा कि आज के परिवेश में मातृशक्ति को आगे बढ़कर के देश निर्माण के कार्य में हिस्सा लेना चाहिए आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जो मातृशक्ति से अछूता रह गया हूं। जिस भी क्षेत्र में हमारी बहनें जा रही हैं उस क्षेत्र में अपने उन्नति का नया आयाम स्थापित कर रही है। आज के परिवेश में विश्व हिंदू परिषद उक्त कार्यक्रम के माध्यम से मातृशक्ति में दूसरों के संघार एवं परिवार में संस्कार का संदेश देने का कार्य कर रहा है।पार्वती सी सौम्यता के साथ ही युद्ध की देवी भी बनें
उपस्थित मातृशक्ति को संबोधित करते हुए मेजर विनीता पाठक ने कहा कि भारत की मातृशक्ति सीता और पार्वती सी सौम्यता रखने के साथ साथ आवश्यकता पड़ने पर माँ काली और चण्डी की भांति रौद्र रूप अपना सकती हैं। वीरांगना लक्ष्मीबाई की भांति कम आयु में राष्ट्रहित प्राणों की भेंट चढ़ा सकती हैं तो प्रयास कर संस्कृति की रक्षा हेतु धर्मशाला, मंदिर, तीर्थस्थलों का निर्माण करने के साथ राज्य की चहुंमुखी उन्नति कर सकती है। मातृशक्ति में इसी भावना को जागृत करने के लिए हम सब जगत जननी मां दुर्गा की पूरा पूजा आराधना करते है।सभ्य समाज की नींव नारी के हाथ
अध्यक्ष उद्बोधन में प्रसिद्ध समाजसेवी सुधा मोदी ने कहा कि अगर महिला ठान ली तो निश्चित तौर पर समाज की समस्त बुराइयों को वह समाप्त कर सकती है और संस्कार देने का काम प्रथम महिला (मां) के द्वारा होता है और वहीं से सभ्य समाज के निर्माण की नीव पड़ती है अतः हम सभी को एक नया और सुंदर सुसंस्कृत सनातन भारत के निर्माण करने में अपना योगदान देने की आवश्यकता है।संचालन संपदा द्विवेद्वी एवं आचार पद्धति विभाग मंत्री शीतल ने कराया।