श्रिति पांडेय ने गेहूं के डंठल, धान के पुआल और भूसे से कंप्रेस्ड एग्री फाइबर पैनल बनाया है। इस पैनल के जरिए मकान बनाने पर लागत काफी कम आती है, साथ ही वह टिकाऊ भी होता है। इस प्रयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने न केवल उन्हें सराहा, बल्कि श्रिति को वर्ष 2019 में सम्मानित भी किया था। श्रिति बताती हैं कि डंठल और पुआल का निस्तारण न हो पाने की स्थिति में किसान उसे जला देते हैं। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति तो प्रभावित होती ही है, पर्यावरण भी दूषित होता है। इस प्रयोग के इस्तेमाल से न केवल किसानों को फसलों के अवशेष से इनकम होगी, बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
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गोरखपुर में उद्योग लगाने की तैयारी
श्रिति पांडेय ने कंपनी स्थापित कर अपने प्रयोग को धरातल पर लाने का अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। जल्द ही वह गोरखपुर के आसपास उद्योग लगाएंगी। श्रिति के पिता महात्मा गांधी इंटर इंटर कॉलेज के प्रबंधक मंकेश्वर पांडेय ने बताया कि प्रयोग आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन चिन्हित कर ली गई है। सरकारी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद यह कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बेटी के इस अभिनय प्रयोग से पूरा पूर्वांचल लाभान्वित होगा।