प्रकृति और रहन सहन के अनुसार होती है खानपान की व्यवस्था चिड़ियाघर के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि चिड़ियाघर में वन्यजीवों की देखरेख और खानपान की व्यवस्था उनकी प्रकृति और रहन सहन के अनुसार की जाती है। इसी आधार पर इनके रख रखाव पर हर महीने होने वाले खर्च का निर्धारण किया जाता है। इस पर बड़ी रकम खर्च होती है। मांसाहारी वन्यजीवों के लिए यह खर्च और बढ़ जाता है। उनके लिए प्रत्येक दिन जहां मांसाहारी भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती है तो वहीं शाकाहारी वन्यजीवों के लिए उनकी रुचि की ताजी घास व अन्य खाद्य पदार्थों का इंतजाम करना पड़ता है। मांसाहारी वन्यजीवों के लिए रोजाना लखनऊ से गोश्त मंगवाया जाता है। इसके लिए चिड़ियाघर के एक स्लॉटर हाउस से ठेका लिया गया है। वहीं शाकाहारी वन्यजीवों के लिए घास की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर की जाती है।
इस वन्यजीव पर हर माह होता है इतना खर्च बब्बर शेर – 70,000 गैंडा – 25,833 तेंदुआ – 22,900 भेडिया – 16,750 ये भी पढ़ें: गोरखपुर का चिडि़याघर बनकर तैयार, 27 मार्च को सीएम योगी करेंगे लोकार्पण, ये है खासियत