गोरखपुर

चारा-पानी, चिकित्सा के अभाव में मर रही ‘गौमाता’, छह दिनों में 57 मौतों के बाद भी चुप्पी

-गोरखपुर क्षेत्र के महराजगंज जिले के मधवलिया में स्थित है गोसदन- यहां छुट्टा पशुओं को रखने की है व्यवस्था, 500 एकड़ में पसरा है यह गोसदन

गोरखपुरJun 09, 2019 / 03:00 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

Animal market agreement from arbitrarily contractor

गाय माता मर रहीं हैं और उनके कथित पुत्रगण चुप्पी साधे हुए हैं। गौरक्षा के नाम पर लोगों की जान लेने से भी नहीं हिचकिचाने वाले समाज में पिछले एक सप्ताह में पचास से अधिक गोवंशीय पशु चारा-पानी के अभाव में मर गए लेकिन उनका पुरसाहाल कोई नहीं। मामला गोरखपुर क्षेत्र का है। गोरखपुर से सटे जिले महराजगंज के मधवलिया गोसदन में एक सप्ताह के भीतर 57 गोवंशीय पशु मौत के मुंह में समा चुके हैं। चारा-पानी व चिकित्सा के अभाव में इन बेजुबानों ने दम तोड़ दिया लेकिन किसी को जुंबिश तक नहीं हुई। मामला सार्वजनिक होता देख प्रशासन की आंखें खुली तो आनन फानन में अधिकारीगण गोसदन का दौरा कर आवश्यक इंतजामात के दावे करते नजर आ रहे हैं।
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महराजगंज के निचलौल में मधवलिया गोसदन स्थित है। करीब पांच सौ एकड़ के क्षेत्रफल वाले इस गोसदन में छुट्टा पशुओं, गोवंशीय पशुओं के रखने की व्यवस्था है। इस गोसदन की करीब 180 एकड़ भूमि पर खेती किया जाता है ताकि इसका खर्चा चल सके। इन जमीनों को लीज पर देकर सालाना एक तय कीमत वसूला जाता है।
गोसदन में रहने वाले गोवंशीय पशुओं की देखभाल के लिए करीब दो दर्जन कर्मचारी भी नियुक्त हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभालने के बाद गोरखपुर शहर के छुट्टा पशुओं विशेशकर साड़ों को पकड़कर मधवलिया गोसदन में ही भेजा गया है।
लेकिन पिछले कई सालों से इस गोसदन की हालत बदतर होती जा रही है। बदइंतजामी का आलम यह कि यहां कई सौ गोवंशीय पशु चारा-पानी व चिकित्सा के अभाव में दम तोड़ चुके हैं।
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छह दिन में 57 गोवंशीय पशुओं की मौत

इस जून माह में अबतक 57 गोवंशीय पशु मर चुके हैं। जानकारी के मुताबिक पहली जून को छह, दो जून को सत्रह, तीन जून को पंद्रह, पांच जून को 14 गोवंशीय पशुओं ने दम तोड़ दिया। छह जून को एक बार फिर पांच गोवंशीय पशुओं की मौत हो गई। यही नहीं पिछले साल भी करीब डेढ़ सौ के आसपास गायों व अन्य पशुओं ने यहां दम तोड़ दिया था।
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57 मौत के बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों में जुंबिश

छह दिनों से लगातार जारी गोवंशीय पशुओं की मौत के बाद जिला प्रशासन की आंखें खुली है। प्रशासनिक अधिकारियों ने गोसदन का दौरा किया। यहां उन्होंने हरा चारा-पानी व दवा के अभाव को सख्त महसूस किया। हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों के दौरे के बाद पशु चिकित्सा विभाग भी सक्रिय हो गया है। उधर, जल्दी जल्दी गोसदन की जमीन पर हरा चारा बोने की कवायद भी प्रारंभ कर दी गई। यहां की करीब दस एकड़ भूमि को जोतवाकर चारा बुवाई कराया जाएगा। इसी तरह यहां तैनात कर्मचारियों को भी अधिकारीगण जिम्मेदारी बांटने में लगे हैं।
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हटाए जा चुके हैं यहां के प्रबंधक लेकिन सुधरी नहीं व्यवस्था

मधवलिया गोसदन के प्रबंधक जितेंद्र पाल सिंह को बीते जनवरी में डीएम ने हटा दिया था। गोसदन में अव्यवस्था को लेकर की गई इस कार्रवाई के बाद माना जा रहा था कि स्थितियों में सुधार होगी। क्योंकि नए प्रबंधक के रूप में एसडीएम को चार्ज दिया गया था। लेकिन अधिकारियों ने गोसदन की व्यवस्था को दुरूस्त करने में कोई पहल नहीं की। आलम यह कि अब गोवंशीय पशु हरा चारा, पानी और चिकित्सीय देखभाल के अभाव में मर रहे हैं। लोग बताते हैं कि गर्मी से पशुओं को बचाने का कोई इंतजाम नहीं है। गर्मी के दिनों में पशु बीमार पड़ रहे तो उनको प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल पा रहा। हरा चारा तो इनको मिल ही नहीं रहा। ऐसे में ये बेजुबान कैसे खुद को जिंदा रखे।
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