2 आरटीसीपीआर मिलीं, जल्द मिलेंगे 2 बायोसेफ्टी कैबिनेट
दरअसल मंडल के ज़िलों के साथ ही बनारस से भी जांच आने और माइक्रोबायोलॉजी विभाग में टीबी की मशीन सीबीनेट (CBNET) से होने वाली जांच बंद होने के चलते आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से मांगी गई आरटीपीसीआर मशीन की मांग की मांग शासन ने पूरी कर दी, जिसके बाद मंगलवार को दो नई आरटीपीसीआर मशीनें भी आ गयीं।
मेडिकल कॉलेज के लिये दो और बायोसेफ्टी की मांग की गयी है, फिलहाल दो कैबिनेट से काम चल रहा है। कोरोना संक्रमण की जांच के लिए लैब में तैनात कर्मचारियों की भी जांच की जा रही है। बायोसेफ्टी कैबिनेट में बैठकर कोरोना जांच के लिए नमूने लेने से संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।
अभी ऐसे हो रही है जांच
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कोरोना संक्रमण की जांच वायरल डायग्नोस्टिक रिसर्च लैब (Viral Diagnostic Research Lab) में होती है। इसका संचालन बीआरडी (BRD Medical College) का माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग (Microbiology Department) और रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (Regional Medical Research Centre) कर रहा है। इस लैब में आरटीपीसीआर से जांच होती है।
रोज़ होती थी सिर्फ 80 सैम्पल की जांच
कोरोना महामारी ने पांव पसारे तो बीआरडी मेडिकल कॉलेज ने जांच का ज़िम्मा उठा लिया। शुरुआत में रोज़ाना करीब 80 सैंपल की ही जांच हो पाती थी। जब गोरखपुर-बस्ती मंडल के जिलों में संक्रमण ने पांव पसारे तो इसके ज़िलों से आने वाले सैम्पल में भी इज़ाफा हुआ। करीब 15 दिन पहले मशीन में नई तकनीक डाल दिये जाने के बाद इसकी क्षमता बढ़कर रोज़ाना लगभग ढाई सौ तक हो गयी। अब नयी मशीनें मिलने के बाद यह डबल हो जाएगी।
बनारस से भी जांच के लिये आने लगे नमूने
बीआरडी के सामने बड़ा संकट तब तक खड़ा हो गया जब बनारस के लैब में एक विशेषज्ञ के कोरोना पॉजिटिव मिलने से वहां जांच बंद कर दी गई और वहां के सभी नमूने गोरखपुर आने लगे। रोज़ाना वहां से करीब 300 सैम्पल आ रहे हैं। जबकि इसी तादाद में नमूने रोज गोरखपुर-बस्ती मंडल के जिलों से भी आ रहे हैं। किट के आभाव के चलते माइक्रोबायोलॉजी विभाग में टीबी की मशीन सीबीनेट (CBNET) से होने वाली जांच बंद हैं और पिछले दो दिनों से यहां से कुछ सैंपल जांच के लिये लखनऊ भी भेजे जा रहे हैं।
बीआरडी प्रिंसिपल बोले
दो आरटीपीसीआर मशीनें आ गई हैं। एक-दो दिन में उनसे भी जांच शुरू हो जाएगी, अब रोज पांच सौ जांचें हो सकेंगी। आने वाले दिनों में इन मशीनों में नई तकनीक की डाई लगाकर इनकी क्षमता बढ़ाई जाएगी, तब रोज लगभग 750 जांचें संभव हो सकेंगी। दो बायोसेफ्टी कैबिनेट भी जल्द ही मिलने वाले हैं।