हॉस्पिटल प्रशासन के मुताबिक एक नवजात बच्चे का केस सामने आया जिसमें यह पता चला कि उसके डायाफ्राम की झिल्ली में छेद होने से आंत फेफड़े की बायीं ओर चला गया है।
डायाफ्राम की झिल्ली में छेद जिसकी वजह से फेफड़ा दब रहा था और अल्प विकसित था। डायाफ्राम की मांसपेशियां पीछे की तरफ हैं ही नहीं। जिस वजह से आपरेशन करना बहुत काठी था। BRD के डाक्टरों ने हिम्मत नहीं हारी और ऑपरेशन करके नवजात की जान बचाई।
डायाफ्राम की झिल्ली के छेद को छाती की मांसपेशियों से जोड़कर आपरेशन किया गया। जिसमें 5 घंटे का समय लगा। इसमें बाल रोग विशेषज्ञ डा. अभिषेक व बेहोशी के डा. सुनील आर्या व डा. शहबाज ने सहयोग किया।
BRD मेडिकल कॉलेज में रोजाना ऐसे मामले आते रहते हैं। जबकि गोरखपुर मंडल के चार जिले और बस्ती मंडल के तीन जिले स्वास्थ के लिहाज़ से अभी भी गोरखपुर के इस मेडिकल कॉलेज पर निर्भर रहते है।
जिला अस्पताल के साथ अब BRD मेडिकल कॉलेज की भी एंट्री हो गई है। BRD मेडिकल कॉलेज देश में आठवें स्थान पर रहा। जबकि जिला अस्पताल को नवां स्थान मिला। इस योजना के शुरू होने के बाद पहली बार BRD ने राष्ट्रीय स्तर पर इतनी बड़ी छलांग लगाई है। हालांकि जिला अस्पताल बीते 10 दिनों से टॉप टेन की सूची में बना हुआ है।