गोरखपुर

बीआरडी मेडिकल काॅलेज में एमबीबीएस बैच ने की ‘शव पूजा’, फिर ली यह शपथ

BRD Medical College एनाॅटमी विभाग में संपन्न कराई गई कडावर सेरेमनी(Cadaver Ceremony)

गोरखपुरSep 01, 2019 / 03:28 am

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

medical students

बाबा राघवदास मेडिकल काॅलेज(Baba Raghav das Medical College) के MBBS के नए बैच के छात्रों ने शनिवार को चिकित्सीय जगह में नई पहचान बनाने के लिए शुभारंभ किया। मेडिकल की पढाई की रवायत का पालन करते हुए एनाॅटमी विभाग( Medical College Anatomy department) में कडावर सेरेमनी (Cadaver Ceremony)यानी शव पूजा की।
बीआरडी मेडिकल काॅलेज (BRD Medical College)में एमबीबीएस की सौ सीटें हैं। एमबीबीएस प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले छात्रों को पहले साल एनाॅटमी(Anatomy) यानी शरीर की सरंचना के बारे में पढ़ाया जा ता है। चूंकि, ये भी भविष्य के डाॅक्टर होते हैं और आगे इनको जीवित इंसान के शरीर का इलाज करना होता है। इसके लिए एनाॅटमी पढ़ाने के लिए मानव शरीर की आवश्यकता होती है। इसके लिए मेडिकल काॅलेज डेड बाॅबी के इंतजाम करते हैं। छात्र इस शरीर पर अपनी पढ़ाई करते हैं और शरीर विज्ञान को समझते हैं।
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क्या है कडावर सेरेमनी (Know about Cadaver Ceremony in Medical colleges)

कडावर सेरेमनी (Cadaver Ceremony) यानी शव की पूजा। एमबीबीएम प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले छात्र के जीवन का यह सबसे अहम पड़ाव होता है। पहले साल वह शरीर संरचना विज्ञान की पढ़ाई करता है। यह वह वक्त होता है जब वह पहली बार किसी शरीर को हाथ लगाता है। कडावर सेरेमनी यानी पूजा इसलिए क्योंकि वह एक शरीर के विभिन्न हिस्सों का विच्छेदन तो करने जा रहा है लेकिन महान कार्य के लिए। वह भविष्य में मानवीय मूल्यों की रक्षा करते हुए अनेक मानव जीवन को बचाने में सहायक बनेगा।
एक शिक्षक के शरीर पर सीखकर डाॅक्टर बनेंगे 100 भावी डाॅक्टर्स

एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र/छात्राओं के लिए कडावर सेरेमनी(Cadaver ceremony) खास इसलिए भी रही क्योंकि वे एक शिक्षक के शरीर से मानव शरीर की संरचना समझेंगे। जीवन भर समाज को शिक्षित करने के लिए दिन रात एक करने वाला शिक्षक अपनी मौत के बाद भी समाज को ‘धरती के भगवान’ दे रहा है। दरअसल, बीआरडी में पहले साल के एमबीबीएस छात्र जिस शरीर पर पढ़ाई करने जा रहे हैं वह गोरखपुर के रहने वाले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय(बीएचयू) (Banaras Hindu University) के शिक्षा विभाग के प्रोफेसर रामप्यारे सिंह का शव है। दो साल पहले बीआरडी मेडिकल काॅलेज को यह शव मिला था। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU)में पढ़ाई करने वाले व शिक्षा ग्रहण करने वाले प्रो.रामप्यारे सिंह गोरखपुर शहर के बिलंदपुर के रहने वाले थे। 2001 में रिटायर्ड होने के बाद वह सामाजिक कार्याें में लगे रहे। परिवारीजन के मुताबिक प्रो.सिंह ने देहदान की इच्छा जताई थी इसलिए उनकी इच्छाओं का सम्मान करते हुए 2017 में उनकी मौत के बाद शरीर को बीआरडी मेडिकल काॅलेज को दान कर दिया गया।
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बीआरडी मेडिकल काॅलेज के एमबीबीएस छात्रों को पढ़ाई के लिए नहीं है शव

एमबीबीएस(MBBS) की पढ़ाई के दौरान एनाॅटमी (Anatomy)के लिए प्रति दस छात्र एक शव की आवश्यकता होती है। लेकिन बीआरडी मेडिकल काॅलेज वर्षाें से मानक के अनुरुप एनाॅटमी की पढ़ाई नहीं करा पा रहा। वर्तमान में मेडिकल काॅलेज के पास प्रैक्टिकल या पढ़ाने के लिए महज तीन शव ही हैं। दो बार उपयोग हो चुका है। इस बार दोनों शवों को दुबारा प्रयोग में लाया जाएगां। जबकि तीसरा पहली बार प्रयोग में लाया गया है।
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