जेपी आंदोलन के दौरान गैर कांग्रेसी दलों ने एकजुटता दिखाई। जनसंघ ने भी इनका साथ दिया। सभी दलों का विलय हो जनता पार्टी का गठन हुआ और सभी एक होकर चुनाव लड़े। लेकिन अधिक समय तक यह एकजुटता कायम नहीं रही। सन् 1980 में जनसंघ के लोगों ने जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी का गठन किया। भाजपा 1984 के लोकसभा चुनावों में पहली बार शिरकत की। लेकिन उसे किसी गोरखपुर-बस्ती मंडल की किसी सीटों पर सफलता नहीं मिल सकी। 1989 में भाजपा ने जनता दल के साथ समझौता कर चुनाव लड़ा। लेकिन इस दौरान भी बीजेपी ने किसी मुसलमान या महिला प्रत्याशी को चुनाव नहीं लड़ाया।
1991 का चुनाव आते आते भाजपा का चेहरा हिंदूवादी बनने की ओर अग्रसर हो चुका था। राममंदिर आंदोलन शबाब पर था। गोरखपुर क्षेत्र की राजनीति में धर्म के आधार पर धु्रवीकरण हो चुका था। राजनीति के जानकार बताते हैं कि जनसंघ काल से ही भाजपा की छवि हिंदूवादी रहने से अधिकतर मुस्लिम मतदाताओं ने दूरी बनाए रखी, राममंदिर आंदोलन के बाद तो मुसलमानों ने वोट ही बीजेपी को हराने वाले को देना प्रारंभ कर दिया।