सात अगस्त 2021 को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने काजल निषाद को पार्टी की सदस्यता दिलाई। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर सपा प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंकी। इस बार सपा ने उन्हें गोरखपुर के कैपियरगंज सीट से अपना प्रत्याशी बनाया।
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लेकिन यहां भी काजल निषाद की किस्मत ने साथ नहीं दिया, वे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के बेटे फतेह बहादुर सिंह से चुनाव हार गई। फतेह बहादुर सिंह ने उन्हें 42656 वोटों से हराया था। काजल निषाद मूल रूप से मुंबई की रहने वाली हैं। उनके माता पिता कच्छ गुजरात के रहने वाले थे। काजल का जन्म 1 जून 1982 को गुजरात में हुआ था। वह मुंबई में बस गए। काजल की शादी गोरखपुर के भाऊपार गांव के रहने वाले भोजपुरी फिल्म निर्माता संजय निषाद के साथ हुई है।
काजल को सब टीवी कॉमेडी शो ‘लापतागंज’ (2009-2010) और भोजपुरी फिल्म ‘शादी बियाह’ में अपने किरदार चमेली के लिए जाना जाता है। उन्होंने कलर्स टीवी के इश्क का रंग सफ़ेद में कनक त्रिपाठी की भूमिका भी निभाई।
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इस वजह से काजल को मैदान में उतारने का लिया गया निर्णयजानकारों का मानना है कि सवर्ण प्रत्याशी होने के बाद भी इस वर्ग के मतदाता बंट जाते। जिन सवर्ण मतदाताओं का नाम उछल रहा था, वे भी मैदान में उतरने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं दिख रहे थे। ऊपर से एक लाख से अधिक मतदाताओं वाली जाति विशेष भी सपा के पाले में नहीं आ पा रही थी।
ऐसे में पार्टी हाईकमान ने काजल निषाद को बतौर प्रत्याशी को मैदान में उतारने का निर्णय लिया। हाईकमान का मानना है कि पार्टी के परंपरागत वोट तो सपा के पक्ष में जाएंगे ही, पिछड़ी जाति का प्रत्याशी होने से विशेष जाति का रुझान भी बढ़ेगा। दलित जाति के वोटों को सपा के पक्ष में लाने के लिए स्वयं नवनिर्वाचित जिलाध्यक्ष ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है।
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पार्टी के दिग्गजों को लगा झटकाखुद पार्टी के कई नेताओं को काजल के उम्मीदवार बनने से झटका लगा है। सीट सामान्य होने की वजह से सभी को उम्मीद थी की उम्मीदवार भी सामने वर्ग का ही होगा। मगर, जातिगत गणित में फिट बैठने पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने काजल पर दांव लगाया।
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गोरखपुर पहुंची काजल ने कहा, वह डरने वाली नहींकाजल ने चर्चित गायिका का गीत गाते हुए भाजपा पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि रवि किशन, निरहुआ और मनोज तिवारी भले ही भाजपा के प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में आ जाएं, लेकिन वे भी डरने वाली नहीं हैं, वह सीधी टक्कर देंगी। वे जनता के मुद्दे पर जनता के साथ खड़ी हैं। वे जुनून और जोश के साथ कोशिश करेंगी।