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गोरखपुर

बखिरा झील सहित यूपी के 12 वेटलैंड्स को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान

रामसर साइट्स (RAMSAR sites) के रुप में सूचीबद्ध होंगे यूपी के 12 वेटलैंड

गोरखपुरJan 03, 2020 / 06:30 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

बखिरा झील सहित यूपी के 12 वेटलैंड्स को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान

बखिरा झील सहित यूपी के 12 वेटलैंड्स को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान

अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो संतकबीर की धरती का बखिरा झील भी पक्षी विहार के रूप में अंतरराष्ट्रीय फलक पर छा जाएगा। यूपी सरकार ने प्रदेश के 12 वेटलैंड को रामसर साइट (RAMSAR sites) की सूची में शामिल करने की कवायद प्रारंभ कर दी है। सूबे से प्रक्रिया पूरी कर केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। रामसर कनवेंशन इन स्थलों को रामसर साइट घोषित करता है तो ये वेटलैंड अंतरराष्ट्रीय फलक पर आ जाएंगे।
यूपी में पंछियों के लिए सबसे अधिक मुफीद जगह

यूपी की नदियों के किनारों की आर्द्रभूमि अपनी जैव विविधिता एवं पंक्षियों की विविधता के लिए काफी मुफीद है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में वेटलैंड संरक्षण व संवर्धन के लिए कई प्रोजेक्ट्स लांच किए हैं। इस संरक्षण व संवर्धन की कवायद में आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंध) नियम-2017 की 20 सितंबर 2017 की अधिसूचना के बिन्दु-5 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश राज्य भूमि प्राधिकरण 11 जनवरी 2018 गठित हुई।
सरकार के प्रयासों में साथ देते हुए मुंबई प्राकृतिक इतिहास सोसायटी (बीएनएचएस) ने यूपी के वर्तमान एवं संभावित (आर्द्रभूमि) रामसर स्थलों का सर्वेक्षण कर रामसर साइट के लिए संभावित 20 स्थलों की सूची बनाई। इन 20 स्थलों में 12 वेटलैंड को संभावित रामसर स्थलों में शामिल किया।
वेटलैंड इंटरनेशन साऊथ एशिया बना नॉलेज पार्टनर

प्रदेश सरकार ने रामसर कनवेंशन के मानदण्ड के मुताबिक प्रस्ताव तैयार करने के लिए वेटलैंड इंटरनेशनल साऊथ एशिया को अपना नॉलेज पार्टनर बनाया। नॉलेज पार्टनर, बीएनएचएस और उत्तर प्रदेश राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण ने मिल कर प्रस्ताव तैयार किया। तकनीकी परीक्षण के बाद आद्र्रभूमि स्थलों को रामसर साइट घोषित करने के लिए भारत सरकार की देखरेख में अधिकारियों ने प्रस्ताव तैयार किया।
इन साइट्स के लिए बन रहा प्रस्ताव

संतकबीरनगर बखीरा वन्य जीव विहार, बलिया सुरहा ताल वन्य जीव विहार, मैनपुरी सौज झील, अलीगढ़ शेखा झील, एटा पटना पक्षी विहार, आगरा सुरोवर वन्य जीव विहार के लिए नॉलेज पार्टनर वेटलैंड इंटरनेशनल साऊथ एशिया, बीएनएचएस एवं उत्तर प्रदेश आर्द्रभूमि प्राधिकरण तकनीकी प्रस्ताव कर केंद्र को भेज चुका है।
रामसर कनवेंशन की वेबसाइट पर 6 प्रस्ताव अपलोड

राज्य सरकार के प्रस्ताव पर विचार के बाद भारत सरकार ने रामसर कनवेंशन की वेबसाइट पर 6 स्थलों के प्रस्ताव रामसर साइट घोषित करने के लिए प्राधिकृत अथॉरिटी ने अपलोड किया है। इनमें उन्नाव का नवाबगंज पक्षी विहार, गोंडा का पार्वती अरंगा वन्य जीव विहार, मैनपुरी समान पक्षी विहार, रायबरेली समसपुर पक्षी विहार, हरदोई सांडी पक्षी विहार एवं इटावा सरसई नाव झील शामिल हैं।
रामसर कनवेंशन की मंजूरी के बाद यह होगा फायदा

कनवेंशन द्वारा रामसर साइट घोषित होने पर ये वेटलैंड विश्वस्तर पर पहचान बना लेंगे। इनके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए तकनीकी सहयोग व आर्थिक मदद भी अंतरराष्ट्रीयसंस्थाओं से मिलेगी। टूरिज्म एवं पक्षी विहार के रूप में अंतरराष्ट्रीय जगत में ब्राडिंग होने लगती है। प्रख्यात पर्यावरणविद् माइक एच.पांडेय कहते हैं कि रामसर साइट पर यूपी के वेटलैंड को शामिल करने की प्रक्रिया एक बड़ी पहल है। यूपी में पहली बार वेटलैंड प्राधिकरण का गठन किया गया है। सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने वेटलैंड प्राधिकरण के लिए गंभीरता दिखाई। दो साल में बीस वेटलैंड के संरक्षण व संवर्धन की कवायद पर्यावरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
बखिरा झील सहित यूपी के 12 वेटलैंड्स को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान
क्या है रामसर कनवेंशन

करीब पांच दशक पहले 2 फरवरी 1971 को दुनिया भर के वेटलैंड को सुरक्षित-संरक्षित करने के लिए रामसर कंवेंशन हुआ। इस समझौते व पहल में दुनिया के 170 से ज्यादा देश हिस्सेदार हैं। इस कन्वेंशन के तहत दुनिया भर के करीब 2100 वेटलैंड सूचीबद्ध हैं। इनमें से भारत के भी 26 वेटलैंड शामिल हैं। पर्यावरण संतुलन व प्राकृतिक विविधता के लिए वेटलैंड का भी महती योगदान है। नदियों एवं जलाशय की तरह यह भूमिगत जल रिचार्ज करने का काम करता है। जैव विविधता, जीव-जंतुओं-पक्षियों एवं पेड़ पौधों का प्राकृतिक आवास भी होता है। इन वेटलैंड्स पर प्रवासी पंछियों का बसेरा रहता है। वे इन जगहों पर अपना अस्थायी आवास बनाते हैं। रामसर कनवेंशन की संधि 21 दिसंबर 1975 से लागू हुई। इसका मुख्यालय स्वीटजरलैंड में है। संधि के मुताबिक ऐसे वेटलैंड का चयन किया जाता है जो जल प्रवाही हो, पशु पक्षियों का प्राकृतिक आवास हो एवं जैव विविधता की संभावनाएं हो। संरक्षण की जिम्मेदारी संबंधित राज्य एवं देश की होती है। इसका उद्देश्य इतना होता है कि संबंधित वेटलैंड के प्रति अंतराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खिंचा जा सके।
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