गोपालगंज

अमरीका ने भी माना, भारत में पाए जाने वाली इस चीज से हो सकता है कैंसर का सटीक इलाज, शोधकर्ताओं ने बाजी मारी

अमरीका के सेज जर्नल ऑफ ब्रेस्ट कैंसर बेसिक एण्ड क्लीनिकल रिर्सच ने इसकी खासियत के बारे में बताया है (Patna Research Scholars Invented Red Sandal Use In Cancer Treatment) (Bihar News) (Bihar News In Hindi) (Gopalganj News) (patna News) (Red Sandal Use) (ayurvedic Cancer treatment)…

गोपालगंजSep 01, 2020 / 09:40 pm

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अमरीका ने भी माना, भारत में पाए जाने वाली इस चीज से हो सकता है कैंसर का सटीक इलाज, शोधकर्ताओं ने बाजी मारी,अमरीका ने भी माना, भारत में पाए जाने वाली इस चीज से हो सकता है कैंसर का सटीक इलाज, शोधकर्ताओं ने बाजी मारी

प्रियरंजन भारती

पटना,गोपालगंज: चंदन का नाम आते ही मनमोहिनी खुशबू का अहसास होने लगता है। पूरा वातावरण पवित्र महसूस होने लगता है। भारत की प्राचीन आयुर्वेद परंपरा में रक्त चंदन को औषधि के रूप में भी अनगिनत तरीकों से उपयोग किया जाता रहा है। अब अमरीका के सेज जर्नल ऑफ ब्रेस्ट कैंसर बेसिक एण्ड क्लीनिकल रिर्सच ने इसकी खासियत के बारे में बताया है। अपने ताजा अंक में बिहार के वैज्ञानिकों की प्रतिभा की सराहना करते हुए जर्नल की प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार के युवा वैज्ञानिकों ने रक्त चंदन में मौजूद प्रतिरोधक क्षमता के बारे में नई खोज की है। दरअसल अपने रिसर्च में इन वैज्ञानिकों ने पहली बार लाल रक्त चंदन की लकड़ी के बीज में स्तन कैंसर की प्रतिरोधक क्षमता की मौजूदगी का पता लगाया है।

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रक्तचंदन बीज पर पहला शोध

प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि तीन सदस्यीय अनुसंधान दल में शामिल महावीर कैंसर संस्थान के डॉ.अरुण कुमार, डॉ.मनोरमा कुमारी एवं अनुग्रह नारायण कालेज, पटना के पीएचडी छात्र विवेक अखौरी द्वारा महावीर कैंसर संस्थान में कई वर्षों तक रक्त चंदन के बीज पर शोध किया गया। इसमें दुनिया के पहले नए शोध में इस बात की जानकारी सामने आयी है कि लाल रक्त चंदन के बीज में स्तन कैंसर विरोधी तत्व पाए जाते हैं।

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चूहों पर सफल प्रयोग

बताया गया है कि शोधकर्ताओं के अध्ययन के दौरान कार्सिनोजेन रासायनिक डीएमबीए को प्रेरित कर चाल्र्स फोस्टर चूहों में स्तन ट्यूमर मॉडल विकसित किया गया। इसके बाद लगातार पांच सप्ताह तक लाल रक्त चंदन के बीज के साथ चूहों का इलाज किया गया। इलाज के बाद ट्यूमर की मात्रा में जबरदस्त कमी पाई गई। रिसर्चरों का दावा है कि लाल रक्त चंदन की लकड़ी के बीज के माध्यम से अब तक पूरे विश्व में किया गया पहला अध्ययन है।

गौरतलब है कि रक्तचंदन का वानास्पतिक नाम – ‘टेरोकार्पस सैन्टेलिनम’ है। इसका कुल -फैबेसी – है और इसको अंग्रेजी में रैड सैनडल वुड कहते हैं।इसे अंग्रेजी में रूबीवुड इण्डियन सैनडलवुड भी कहा जाता है।

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स्तन कैंसर के लिए यूं हुआ शोध

बता दें कि वंशानुगत, स्तनपान की कमी और जीवन शैली से जुड़े कारणों के कारण स्तन कैंसर होते हैं। वर्ष 2018 में 1 लाख 62 हजार 468 महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हुईं और बीमारी में मृत्युदर लगभग 30 प्रतिशत रही। शोध से जुड़े वैज्ञानिक डॉ.अरुण ने बताया कि आर्सेनिक को लेकर वे अपने गृह जिला बक्सर में काम कर रहे हैं। इसी दौरान पानी की जांच के लिए सिमरी प्रखंड के खैरापट्टी निवासी श्रीराम पाण्डेय के घर गए और उनके बगीचे में मौजूद लाल रक्त चंदन के पेड़ और बीज पर उनकी नजर गई। उन्होंने अपने शोधार्थी शिष्य विवेक और सहकर्मी मनोरमा के साथ इस पर अनुसंधान का फैसला लिया।

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इसके तहत स्तन ट्यूमर के विकास के बाद, 5 सप्ताह के लिए लाल रक्त चंदन के बीज के साथ चूहों का इलाज किया गया। जिसके बाद चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। ट्यूमर की मात्रा में महत्वपूर्ण कमी देखी गयी और यह धीरे-धीरे समाप्त हो गया। यह लाल रक्त चंदन के बीज के माध्यम से दुनिया में किया गया पहला सफल शोध है।

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