ग्रामीणों का कहना है कि पक्का पुल बनने से पहले सरयू नदी पार कर आवागमन करने लिये नाव ही एक सहारा रहा करती थी, लेकिन परसपुर क्षेत्र के भौरीगंज में वर्ष 2000 में सरयू नदी पर पीपा का पुल बना दिया गया, जिससे एक ओर जहां लोगों को नाव से नदी पार करने से छुटकारा मिल गया। वहीं दूसरी तरफ़ परसपुर व कर्नलगंज की दो दर्जन ग्राम पंचायतों में विकास के पंख लग गए। वाहनों के आवागमन चालू हो जाने से मझावासियों की खुशियां और विकास दोगुनी हो गयी।
2005 से खाली पीपा का उपयोग त्रिमुहानी पर हुआ
वर्ष 2005 में भौरीगंज में सरयू नदी में पक्का पुल बनने से यहां का पीपा खाली हो गया। इस पीपे को ले जाकर पसका त्रिमुहानी घाट पर सरयू नदी पर पुल बना दिया गया। पसका में सरयू नदी पर पीपा का पुल बन जाने से परसपुर ब्लॉक के पसका, चंदापुर किटौली, नन्दौर व बाराबंकी जनपद की ग्राम पंचायतें बांसगांव, कमियार व असवा समेत तकरीबन पच्चीस हजार आबादी के लोगो को आवागमन में काफी राहत हुआ। परंतु बारिश के समय नदी का जल स्तर बढने पर इस पीपा के पुल को खोल कर हटा दिया जाता रहा है।जिससे चार माह नाव से नदी पार करने की परेशानी बढ़ जाती रही है।
वर्ष 2005 में भौरीगंज में सरयू नदी में पक्का पुल बनने से यहां का पीपा खाली हो गया। इस पीपे को ले जाकर पसका त्रिमुहानी घाट पर सरयू नदी पर पुल बना दिया गया। पसका में सरयू नदी पर पीपा का पुल बन जाने से परसपुर ब्लॉक के पसका, चंदापुर किटौली, नन्दौर व बाराबंकी जनपद की ग्राम पंचायतें बांसगांव, कमियार व असवा समेत तकरीबन पच्चीस हजार आबादी के लोगो को आवागमन में काफी राहत हुआ। परंतु बारिश के समय नदी का जल स्तर बढने पर इस पीपा के पुल को खोल कर हटा दिया जाता रहा है।जिससे चार माह नाव से नदी पार करने की परेशानी बढ़ जाती रही है।
नाव पलटने से चेता था प्रशासन
वर्ष 2012 में पसका स्थित सरयू नदी के त्रिमुहानी घाट पर सवारियों से भरी नाव नदी में पलट गयी। नाव हादसा के बाद पसका में भी पक्का पुल के निर्माण की मांग उठी। और वर्ष 2014 में शासन से यहां पक्का पुल निर्माण को स्वीकृति मिली। वर्ष 2015 में यहाँ पसका सरयू नदी में पक्का पुल बनकर तैयार हो गया।
वर्ष 2012 में पसका स्थित सरयू नदी के त्रिमुहानी घाट पर सवारियों से भरी नाव नदी में पलट गयी। नाव हादसा के बाद पसका में भी पक्का पुल के निर्माण की मांग उठी। और वर्ष 2014 में शासन से यहां पक्का पुल निर्माण को स्वीकृति मिली। वर्ष 2015 में यहाँ पसका सरयू नदी में पक्का पुल बनकर तैयार हो गया।
2015 में खाली हुए पीपे खा रहे जंक
त्रिमोहानी पर पल निर्माण के बाद पीपा के पुल को खोल कर हटा दिया गया। पीपा खोल दिये जाने से सरयू नदी के किनारे नवनिर्मित पक्का पुल के पास बिखरे पड़े कई पीपा जंक खा रहे है। तकरीबन तीन साल से इकट्ठा इन पीपों के रखरखाव को विभागीय अधिकारी अंजान बने हैं।
त्रिमोहानी पर पल निर्माण के बाद पीपा के पुल को खोल कर हटा दिया गया। पीपा खोल दिये जाने से सरयू नदी के किनारे नवनिर्मित पक्का पुल के पास बिखरे पड़े कई पीपा जंक खा रहे है। तकरीबन तीन साल से इकट्ठा इन पीपों के रखरखाव को विभागीय अधिकारी अंजान बने हैं।
काश इन पीपों का कहीं अलग उपयोग हो जाता
जंक खा रहे पीपों का उपयोग कहीं अलग पुल बनाने में कर दिया जाता तो लोगों को आवागमन में सुविधा हो जाती, लेकिन विभाग इससे बेपवाह बना हुआ है।
जंक खा रहे पीपों का उपयोग कहीं अलग पुल बनाने में कर दिया जाता तो लोगों को आवागमन में सुविधा हो जाती, लेकिन विभाग इससे बेपवाह बना हुआ है।