Gonda News: गोंडा जिले के एलबीएस डिग्री कॉलेज में प्रतिभा सम्मान समारोह में उपस्थित छात्र-छात्राओं एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल ने कहा, दुर्भाग्यवश हमारे देश की शिक्षा प्रणाली पिछले दशकों में बदलाव से अछूती रही। जहां संगीत सुनने के उपकरणों में तीन दशकों में बड़ा बदलाव हुआ है। वहीं हमारी शिक्षा प्रणाली पुरानी स्थिति में अटकी रह गई थी।
शिक्षा केवल औपचारिक प्रमाण पत्रों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए
उन्होंने शिक्षा को केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित न रखकर ज्ञान और कौशल के विकास का साधन बताया। श्रीनिवास रामानुजम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “रामानुजम जैसे महान गणितज्ञ के पास कोई औपचारिक डिग्री नहीं थी। लेकिन उनका योगदान विश्वभर में अमूल्य है। इसका अर्थ है कि शिक्षा केवल औपचारिक प्रमाण पत्रों तक सीमित नहीं होनी चाहिए।छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि संतोष का भाव सृजन के मार्ग में सबसे बड़ा अवरोध
उपराज्यपाल ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि संतोष का भाव सृजन के मार्ग में सबसे बड़ा अवरोध है। हमें अपनी सोच को सीमित न रखते हुए मन और मस्तिष्क की खिड़कियां खुली रखनी चाहिए। केवल इसी तरह हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। सत्य सरोज फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बीए, बीएससी, बीकॉम, एमए, एमएससी, एमकॉम के छात्रों को उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही शिक्षकों को उनके योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा ही बदलाव का असली मंत्र है। यह न केवल व्यक्तित्व निर्माण करती है। बल्कि समाज और देश के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह भी पढ़ें