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गोंडा डीएम नेहा शर्मा ने गलत वरासत दर्ज करने के दो अलग-अलग मामलों में सख्त कार्रवाई करते हुए दो लेखपाल और दो राजस्व निरीक्षकों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं। इनमें से 2 लेखपालों और एक राजस्व निरीक्षक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इन सभी के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। जबकि एक सेवानिवृत्त राजस्व निरीक्षक को भी दोषी पाया गया है।
Gonda News: पत्नी के स्थान पर भाई के नाम की वरासत
डीएम के जनता दर्शन में 2 सितंबर को ग्राम रमवापुर गोविंदा के रहने वाले रामकिशुन ने शिकायत की थी, कि मृतक हरीनाम की पत्नी जीवित होते हुए भी वरासत उनके भाई शोभाराम और सहजराम के नाम दर्ज कर दी गई थी। जबकि मृतक के भाई सहजराम द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र में माया मौर्या को हरीनाम की पत्नी बताया गया था। इस मामले पर जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए। जिसमें पाया गया कि वरासत प्रक्रिया को ठीक से पूरा किए बिना विपक्षियों से मिलीभगत कर आदेश पारित किया गया। इस अनियमितता के चलते तहसील गोंडा के लेखपाल विजय सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इस मामले की जांच तहसीलदार गोंडा सदर को सौंपी गई है। इसके साथ ही सेवानिवृत्त राजस्व निरीक्षक राम प्रकाश पांडेय को भी इस गलती का दोषी पाया गया है।
अदालत में लंबित मामला, फिर भी जारी हुआ वरासत आदेश
एक अन्य मामले में तहसील गोंडा के लेखपाल बाबूराम को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। आरोप है कि वसीयतनामा का मामला तहसीलदार न्यायिक गोंडा सदर के अदालत में लंबित होने के बावजूद, लेखपाल बाबूराम ने ग्राम लोनावादरगाह में खातेदार पिंडी राम की मृत्यु के बाद खाता संख्या 304 और गाटा संख्या 700 के साथ-साथ राजस्व ग्राम सिसई जंगल के खाता संख्या 122 और गाटा संख्या 13 पर मृतक के वारिसानों के नाम पर वरासत दर्ज कर दी। इन पर विपक्षियों राजेन्द्र उर्फ राजेश और दयाराम से मिलीभगत के आरोप लगे हैं। जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर लेखपाल बाबूराम को निलंबित कर दिया गया है। इस मामले की जांच नायब तहसीलदार सदर को सौंपी गई है। साथ ही, राजस्व निरीक्षक तहसील गोंडा सदर दिनेश प्रताप तिवारी को भी उनके पदीय कर्तव्यों में गंभीर लापरवाही और कर्मचारी नियमावली के उल्लंघन के चलते निलंबित किया गया है। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी प्रस्तावित है।