ये भी पढ़ें- विपक्ष के हंगामे के बीच पेश हुआ 8500 करोड़ का अनुपूरक बजट, पहली बार विधानसभा में सीएम योगी ने की यह धमाकेदार घोषणा इस बार पुनः स्थानीय प्रत्याशी को तरजीह देने के बजाय एक बार फिर कांग्रेस आलाकमान पैराशूट कैंडिडेट्स को चुनाव में उतारने की तैयारियां कर ही है, जो जिले में सुर्ख़ियों में है। गोंडा लोकसभा क्षेत्र से इस बार गोण्डा के पूर्व जिलाधिकारी राम बहादुर कांग्रेस के टिकट पर लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। पिछले 2 महीनों से वह लगातार गोंडा लोकसभा क्षेत्र के लोगों से जनसंपर्क में लगे हुए हैं और लोगों को जानकारी दे भी रहे है कि उनका टिकट कांग्रेस से फाइनल हो रहा है। वह लोगों से राय भी ले रहे हैं कि गोण्डा से चुनाव लड़ना कैसा रहेगा। यही नहीं उन्होंने अपने सहयोगी द्वारा खड़ी कि गयी एक राजनैतिक पार्टी की पत्रकार वार्ता भी कराई जिसके द्वारा कहा भी गया कि यहां के पूर्व जिलाधिकारी राम बहादुर को पार्टी यहां से प्रत्याशी बना सकती है। यह अलग बात है कि राम बहादुर पूर्व जिलाधिकारी बसपा से 2017 में विधानसभा चुनाव मोहनलाल गंज लखनऊ से लड़ चुके हैं, जहां बेहद कम अंतर से वह हार गए थे।
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सूत्रों की मानें तो बसपा से कांग्रेस में गए नसीमुद्दीन सिद्दीकी के वह करीबी और खास सिपहसलार हैं। जब बसपा छोड़ सिद्दीकी कांग्रेस में गए तो राम बहादुर भी बसपा को बाय-बाय कर कांग्रेस में पहुँच गए।
तब स्थित दूसरी और अब दूसरी है- गोंडा में 2009 लोकसभा का चुनाव जीत चुके बेनी प्रसाद वर्मा 11.7% वोट पाकर पराजित हुए। जबकि बसपा से उतरे अकबर अहमद डंपी 13.3% वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। 2009 में गोंडा लोकसभा क्षेत्र से बेनी प्रसाद वर्मा चुनाव जीते थे, तब उन पर भी बाहरी कैंडिडेट का ठप्पा लगा था, लेकिन लोगों में विश्वास पैदा करने के लिए उन्होंने किराए का आवास लिया, जिसे खरीदने का प्रचार किया गया था। बाद में यह पोल भी खुल गई थी। इस तरह कई योजनाओं का गोंडा में शिलान्यास भी किया, लेकिन बाद में पता चला ऐसी कोई योजना ही नहीं शुरू हुई। बहरहाल, इसका खामियाजा उन्हें 2014 बीजेपी से बुरी तरह हार से भुगतना पड़ा।