‘भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा लीड कर रहे थे आंदोलन’
भाजपा नेता ने पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “जंतर-मंतर पर हुऐ आंदोलन को लीड कौन कर रहा था? भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा लीड कर रहे थे। प्रियंका गांधी भी आई थीं। आज जो घटनाक्रम और सीक्वेंस मिल रहा है, वह कांग्रेस के खिलाफ जा रहा है।” पत्रकारों ने उनसे पूछा कि महिलाओं के प्रदर्शन को कैसे देखते हैं। इस पर उन्होंने कहा, “यह महिलाओं का प्रदर्शन नहीं था। पहले दिन ऐसा लगा था कि ये खिलाड़ियों का प्रदर्शन है। लेकिन पहले दिन के बाद जब आप ही लोगों ने उनसे सबूत मांगना शुरू किया, तो धीरे-धीरे उनके साथ से लोग हट गए। जंतर-मंतर पर खिलाड़ियों का नहीं एक परिवार और एक अखाड़ा का प्रदर्शन था। जीजा-साली और एक अखाड़ा था। जिसके सर्वेसर्वा भूपेंद्र हुड्डा हैं। बाकी खिलाड़ी या बाकी लोग उनके साथ नहीं हैं।”
पांडवों और द्रौपदी का किया जिक्र
उन्होंने एक और सवाल के जवाब में कहा, “पांच हजार वर्ष पहले महाभारत के समय पांडवों ने द्रौपदी को दांव पर लगाकर जुआ खेला था और वह हार गए। देश ने इस बात के लिए अभी भी पांडवों को माफ नहीं किया। वैसे जो हुड्डा फैमिली ने हमारे देश की बहन बेटियों के सम्मान को दांव पर लगाकर खेला है, उसके लिए देश उन्हें माफ नहीं करेगा। इस बात को आने वाला कल माफ नहीं करेगा। वह हमेशा गुनहगार रहेंगे। जिन तीन घटनाओं का आरोप मेरे ऊपर लगा है उसमें मैं बाहर था। एक में मैं सर्बिया में हूं और दो में मैं लखनऊ था। जब ये सारी चीजें निकलकर के आएंगी, तो उस समय ये जवाब नहीं दे पाएंगे।” बजरंग पूनिया की मानसिकता खराब वाले बयान का भी बृजभूषण ने जवाब दिया। कहा, “मैं उनसे सवाल पूछना चाहता हुं की एशियन गेम में वो बिना ट्रायल के क्यों गए। विशाल काली रमन ने ट्रायल के लिए हर दरवाजा खटखटाया। फेडरेशन के पास भी आया, कोर्ट में भी जाने की कोशिश की, सरकार में भी गया। यह बिना ट्रायल के कैसे चले गए? बहुत सवाल हैं।”