महेश कुमार कुशवाहा की शहादत की खबर मिलने के बाद कोतवाली क्षेत्र का जैतपुरा गांव सदमें में है। परिवार वालों का तो रो-रोकर बुरा हाल है। तीन पुश्तों से फौज की नौकरी कर रहे परिवार के लिये यह गर्व की बात है कि उनका लाल देश के लिये शहीद हो गया, लेकिन एक पिता, पत्नी, बच्चे और परिवार वालों उनका अचानक चले जाना जैसे दुखों का पहाड़ टूटा पड़ा है। शहीद महेश कुमार कुशवाहा के चाचा सुरेन्द्र कुशवाहा ने बताया कि बुधवार को ही उनके बड़े भाई गोरखनाथ कुशववाहा की तबीयत खराब चल रही थी, बेटा महेश पिता के इलाज के लिये छुट्टी लेकर गुरुवार को ही आने वाला था। बुधवार को अचानक हार्ट अटैक आया तो हमने फिर खबर। शहीद की एक दिन पहले पत्नी से फोन पर बात हुई और उन्होंने गुरुवार की दोपहर तक घर पहुंचने का वादा किया था, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।
उन्होंने बताया कि बुधवार की रात उन्हें शहीद के दोस्त ने फोन से बताया कि उनके साथ एक्सिडेंट हो गया है। फिर इसके बाद कमांडर का फोन आया तो वह शहीद की पत्नी से बात कराने को कहने लगे। घर में और किसी को पता न चले, इसलिये हमने घर से दूर अस्पताल जाकर बात की। सीआरपीएफ में तैनात शहीद के बड़े भाई ने भी बताया कि इस तरह की घटना हो गयी है। हमने कमांडर का नंबर लेकर उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि जब उनकी टीम गाड़ी में बैठ रही थी, तभी आतंकी हमला हो गया। महेश ने जवाबी फायरिंग की, जिसमें एक आतंकीी कारा गया, लेकिन उन्हें भी गोली लग गयी थी और उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया। बेटा देश के काम आ गया… इतना कहते-कहते वो फफककर रो पड़े। बताया कि परिवार तीन पुश्तों से फौज में देश की सेवा कर रहा है। अभी परिवार के तीन लड़के सेना में हैं।
उधर जब इस बात की खबर शहीद की पत्नी निर्मलला देवी और मां रामदुलारी देवी को मिली तो उनपर जैसे दुखों का पहाड़ टूट गया। पत्नी को सुबह जब यह खबर दी गयी तो इस कदर सदमा लगा कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। एक मासूम बेटा आदित्य (5) और बेटी प्रियल (3) को यह पता ही नहीं कि उनके सिर से पिता का साया उठ चुका है।
पिता का इंतजार कर रहे बच्चे समझ नहीं पा रहे कि अचानक सब रोने-धोने क्यों लगा। चाचा सुरेन्द्र कुशवाहा ने बताया कि शहीद महेश ही अपने परिवार का सहारा था। नौकरी मिलने के बाद परिवार के अच्छे दिन शुरू हुए थे। भाई शिवनारायण कुशवाहा प्राइवेट नौकरी करते हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि परिवार के जीवन-यापन के लिये आर्थिक मदद की जाए और बच्चों के भविष्य के लिये भी सरकार परिवार की सहायता करे।
शहीद के दोस्त राजेश यादव ने बताया कि उन्हें अपने फौजी भाई से सूचना मिल गयी थी पर वह हिम्मत नहीं कर पा रहे थे कि परिवार को कैसे बताएं। बताया कि शहीद महेश मिलनसार और खुशमिजाज स्वभाव के थे। होली पर आए थे तो हमने खूब इन्ज्वाय किया था। गुस्से में राजेश कहते हैं कि सरकार के पास पूरा पावर है लगातार जवान मारे जा रहे हैं। अगर वास्तव में कुछ करना चाहते हैं तो जबरदस्त कार्रवाई करें। सिटी मजिस्ट्रेट सूरज यादव ने बताया कि शाम तक शहीद का पार्थिव शरीर वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचेगा और वहां से सड़क मार्ग से साढ़े सात से आठ बजे तक गांव पहुंचेगा।