गाजीपुर. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि जल्द ही किसान आंदोलन पश्चिम की तरह पूर्वांचल में भी जोर पकड़ेगा। पूर्वांचल वीरों की धरती रही है। पूर्वांचल और यहां से सटे बिहार के इलाकों से कई बड़े आंदोलन उठे हैं और सफल भी हुए हैंं। हरियाणा सियासी संकट को लेकर वहां के विधायकों से अपील किया कि विधायक किसानों और आम लोगों की बात सुनें और उनके साथ खड़े हों। टिकैत 13 को बंगाल भी जाएंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाद किसान आंदोलन को पूर्वांचल तक विस्तार देने के लिये किसान नेता राकेश टिकैत आज बलिया के सिकंदरपुर में किसान महापंचायत को संबोधित करेंगे। बलिया जाने के पहले राकेश टिकैत गाजीपुर में रुके और मीडिया से बातचीत की।
केन्द्र सरकार और सत्ताधारी दल राकेश टिकैत के निशाने पर रहे। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को लगातार बदनाम करने की कोशिश जारी है। सरकार के लोग इसे राजनीति से प्रेरित और विपक्ष का काम बता रहे हैं, लेकिन यही जब विपक्ष में थे तो हमारे हमारे साथ थे। विपक्ष के समर्थन के सवाल पर कहा कि राजनीतिक दल अपना काम करें। देश में विपक्ष भी मजबूत रहना चाहिये। वो भी सड़कों पर उतरेंगे तो खुद मजबूत हो जाएंगे। कहा कि हमारा काम किसान संगठनों को मजबूत करना है, ये संगठन ही किसानों मजदूरों के हाला सुधार सकते हैं।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार हमारी नहीं सुन रही है। वो किसानों से बात नहीं करना चाहते। पहले जिस तरह से बात हो रही थी उस तरह से बात हो और अगर वो हमें बुलाएं तो आपस में सहमति करके हमारी टीम जरूर जाएगी। पर मध्यस्थता वो करे जिसके पास पावर हो। मध्यस्थ को फुल पावर और फैसला करने की शक्ति होना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक जो भी बात हुई उसमें कोई ऐसी लाइन नहीं आई जहां लगे कि कोई रास्ता निकल सकता है। हालांकि दावा किया कि सरकार भी मान जाएगी। अगर नहीं मानी तो हमने सर्दियों तक का इंतजाम कर रखा है और जरूरत पड़ी तो उसके बाद भी बुला लेंगे।
किसान आंदोलन को वैचारिक क्रांति बताते हुए कहा कि अब इससे पूरा देश जुड़ चुका है। विचार से पैदा हुई क्रांति कभी खत्म नहीं होती। अब इससे पूरा देश जुड़ चुका है। जहां हम नहीं पहुंचे वहां भी गांव-गांव में लोग इससे जुड़ रहे हैं। हम लगातार किसानों के बीच भी जा रहे हैं। पूर्वांचल में भी पश्चिम की तरह आंदोल जाेर पकड़ेगा। बिहार में तो एमएसपी है ही नहीं, वहां के किसानों को भी इसका लाभ मिलना चाहिये। पूर्वांचल के किसानों को संदेश देते हुए आह्वान किया कि इस आंदोलन से जुड़ें और किसानों के ईश्यू को समझें। इन कानूनों से देश पर व्यपारियों का कब्जा होगा। बड़ी-बड़ी कंपनियां देश को लूटना चाहती हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमने कभी कृषि कानूनों में बदलाव का समर्थन नहीं किया। कहा कि जो भी कानून बने वो सबकी सहमति से बनना चाहिये। एमएसपी पर खरीद के लिये ठोस कानून की मांग दोहराई। कहा कि जो तीनों बिल आ रहे हैं उससे किसानों को नुकसान होगा। सरकार इसे जब तक वापस नहीं लेगी और एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इस आंदोलन की रीढ़ युवा हैं और युवा जिस आंदोलन से जुड़ जाता है वो पार हो जाता है।
यूपी में योगी सरकार द्वारा एमएसपी पर गेहूं की खरीद के ऐलान पर कहा कि अगर ऐस करवाते हैं तो उनको धन्यवाद है। आने दीजिये, सामने आ जाएगा कि एमएसपी पर कितनी खरीद होती है और कितनी नहीं।
By Alok Tripathi