2005 में तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या ने मुख्तार अंसारी के आपराधिक इतिहास का रुख बदल दिया था। उस दिन कृष्णानंद राय पर 500 राउंड फायरिंग हुई थी। कृष्णानंद राय गोलियों से छलनी-छलनी हो गए थे। क्या है मुख्तार अंसारी से कृष्णानंद राय की दुश्मनी और फिर हत्या की कहानी? आइए बताते हैं
बदले और रसूख की कहानी है बीजेपी विधायक हत्याकांड
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड बदले और रसूख की कहानी बताता है। इस हत्याकांड ने मुख्तार अंसारी को अपराध की दुनिया का नामी चेहरा बना दिया था। घटना 29 नवंबर 2005 की है। उस दिन गाजीपुर जिले के गोडउर गांव में शाम होने वाली थी। थोड़ी बारिश भी हुई थी। गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद से तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय पड़ोस के सियारी गांव में जाने की तैयारी कर रहे थे।
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड बदले और रसूख की कहानी बताता है। इस हत्याकांड ने मुख्तार अंसारी को अपराध की दुनिया का नामी चेहरा बना दिया था। घटना 29 नवंबर 2005 की है। उस दिन गाजीपुर जिले के गोडउर गांव में शाम होने वाली थी। थोड़ी बारिश भी हुई थी। गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद से तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय पड़ोस के सियारी गांव में जाने की तैयारी कर रहे थे।
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एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के लिए उन्हें चीफ गेस्ट बनाया गया था। बगल के गांव जाना था। लिहाजा राय बेफिक्र थे। बुलेटप्रूफ गाड़ी घर में ही छोड़ दी थी। वह दूसरी गाड़ी से निकले। यह उनकी जिंदगी की आखिरी भूल साबित हुई थी। रास्ते में कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों को गोलियों से भून दिया गया था। कृष्णानंद राय पर 500 राउंड फायरिंग हुई थी। इस हमले में एके-47 का इस्तेमाल हुआ था। एक-47 से बरसाई गई थीं गोलियां
कृष्णानंद राय के भाई रामनारायण राय ने पूरी घटना पर कोर्ट में बयान दिया था। उन्होंने बताया था कि टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के बाद राय शाम करीब चार बजे अपने गनर निर्भय उपाध्याय, ड्राइवर मुन्ना राय, रमेश राय, श्याम शंकर राय, अखिलेश राय और शेषनाथ सिंह के साथ कनुवान गांव की ओर जा रहे थे। राम नारायण राय के अनुसार, वह खुद दूसरे लोगों के साथ कृष्णानंद राय के पीछे वाली गाड़ी में सवार थे।
कृष्णानंद राय के भाई रामनारायण राय ने पूरी घटना पर कोर्ट में बयान दिया था। उन्होंने बताया था कि टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के बाद राय शाम करीब चार बजे अपने गनर निर्भय उपाध्याय, ड्राइवर मुन्ना राय, रमेश राय, श्याम शंकर राय, अखिलेश राय और शेषनाथ सिंह के साथ कनुवान गांव की ओर जा रहे थे। राम नारायण राय के अनुसार, वह खुद दूसरे लोगों के साथ कृष्णानंद राय के पीछे वाली गाड़ी में सवार थे।
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बसनियां चट्टी गांव से डेढ़ किलोमीटर आगे सिल्वर ग्रे कलर की एसयूवी सामने से आई। उसमें से सात-आठ लोग निकले। उन्होंने एके-47 से गोलियों की बौछार कर दी। इसमें विधायक समेत सात लोगों की हत्या हुई। मामला गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के अंतर्गत दर्ज किया गया। इसमें करीब 500 राउंड फायरिंग हुई। मोस्टमार्टम में कृष्णानंद राय के शरीर से अकेले 67 गोलियां निकली थीं। यह घटना उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे सनसनीखेज राजनीतिक हत्याओं में दर्ज हो गई। यह भी पढ़ें
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क्यों हुई थी कृष्णानंद राय की हत्या?2002 में गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से कृष्णानंद राय ने मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी को हरा दिया था। इसे दोनों भाइयों ने अपनी आन पर ले लिया। इसके बाद मुख्तार ने अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया कि कैसे भी करके कृष्णानंद को रास्ते से हटाना है। हत्याकांड के बाद अंसारी भाइयों ने ताकत और रुतबे के बल पर कहानी को उलझा दिया। कानूनी लड़ाई के दौरान गवाह टूटे। मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी कहते रहे हैं कि उनके भाई के खिलाफ मीडिया गलत जानकारी देता रहा है। मुख्तार के खिलाफ सिर्फ 13 मामले हैं। उनमें भी गंभीर अपराध के सिर्फ दो या तीन हैं।
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अफजाल और मुख्तार अंसारी हैं आरोपीइस मामले में पुलिस ने 2007 में गैंगस्टर एक्ट के तहत अफजाल अंसारी, मुख्तार अंसारी और उनके बहनोई एजाजुल हक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। गाजीपुर एमपीएमएलए कोर्ट में इस केस पर 1 अप्रैल को बहस पूरी हुई थी। कोर्ट ने 15 अप्रैल का दिन फैसले के लिए मुकर्रर किया था। फिर मामले में फैसला सुनाने के लिए 29 अप्रैल की तारीख दी गई। आज दोनों भाइयों को सजा हो गई है।