पिछले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में बीजेपी यह सीट हार गई थी। तब अफजाल अंसारी के सामने तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) मैदान में थे। पिछली बार अफजला अंसारी बसपा के टिकट से मैदान में थे। हालांकि, गठबंधन के नाते उन्हें समाजवादी पार्टी का भी सहयोग मिला था। अब इस बार अफजाल अंसारी को पटकनी देने के लिए बीजेपी गाजीपुर सीट पर कोई भी दांव खेल सकती है। और राजनीतिक जानकारों की मानें तो इन सब में सबसे आसान दांव ब्रजेश सिंह वाला ही हो सकता है।
मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह की टक्कर किसी से छिपी नहीं है। बीते तीन दशकों से दोनों एक दूसरे के कट्टर दुश्मन मानें जाते रहे हैं। गाजीपुर में ही दोनों के बीच आमना-सामना भी हुआ और खूनी संघर्षों के बाद ब्रजेश सिंह कई सालों तक गायब भी रहे। कृष्णानंद राय हत्याकांड (Krishnanad Rai Hatyakand) भी दोनों माफियाओं की अदावत का ही नतीजा है। इस हत्याकांड में विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों को गोलियों से भून दिया गयाा था। इससे पहले ब्रजेश सिंह वाराणसी से एमएलसी बने थे। और तब भी बीजेपी ने ब्रजेश सिंह को सीधा सपोर्ट न करते हुए उनके खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था। ऐसे में समाजवादी पार्टी से हुए सीधे चुनावी टक्कर में ब्रजेश सिंह को आसान जीत मिली थी। इस समय भी ब्रजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह वाराणसी से एमएलसी हैं।
साल 2004 में सपा के टिकट से जीतकर अफजाल अंसारी पहली बार लोकसभा पहुंचे। अगले लोकसभा चुनवा में सपा ने उन्हें अपना टिकट नहीं दिया तो उन्होंने बसपा की टिकट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। पिछले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) यानी 2019 के चुनाव में अफजाल अंसारी सपा-बसपा गठबंधन की ओर से चुनाव लड़े और मनोज सिन्हा को पटकनी देते हुए दुबारा गाजीपुर सीट से सांसद बने। इसके बाद गैंगस्टर के मामले में उन्हें सजा मिलने के बाद उनकी सांसदीय सदस्यता रद्द कर दी गई। लेकिन, कुछ ही समय बाद कोर्ट ने सांसदी बहाल कर दी।