सियासत ने मुलायम सिंह यादव और अंसारी परिवार और मुलायम सिंह यादव के समाजवादी कुनबे के बीच रिश्तों में कई बार उतार चढ़ाव आये, लेकिन दोनों परिवारों के बीच लगाव कम नहीं हुआ। सियासी मजबूरियों के चलते दोनों अलग भी हुए तो मौका मिलते ही एक होने में ज़रा भी देरी नहीं लगाई। अंसारी परिवार के लिये मुलायम सिंह यादव ने लीक से हटकर भी कई फैसले किये। सपा के टिकट पर ही अफ़ज़ाल अंसारी पहली बार गज़ीपुर से लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बने। पर अखिलेश यादव के सपा में मज़बूत होते ही अंसारी परिवार समाजवादी कुनबे से छिटक गया। और अपनी ताकत दिखाने के लिए कौमी एकता दल के नाम से पार्टी बनाकर अपनी ताकत दिखायी।
सियासत ने एक बार फिर करवट ली और 2017 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले अंसारी परिवार की पार्टी का सपा में विलय मुलायम और शिवपाल के चलते हो पाया। पर तब तक अखिलेश पार्टी में इतने मज़बूत हो चुके थे कि उनके विरोध के चलते अंसारी बंधुओं को समाजवादी कुनबा छोड़ना पड़ा। और बसपा का दामन थाम लिया। 2019 के लोक सभा चुनाव के लिये सपा बसपा साथ आए तो अफ़ज़ाल अंसारी दोबारा गाज़ीपुर से सांसद बने। हाथी की सवारी कर फिर अंसारी परिवार ने अपनी राजनीतिक ज़मीन हासिल करते हुए प्रदेश की सियासत में अपना सितारा बुलंद किया।
ताज़ा घटनाक्रम के बाद एक बार फिर से समाजवादी कुनबे और अंसारी परिवार रिश्ते चर्चा में हैं। दरअसल लॉक डाउन के चलते पैदल और जैसे तैसे घर लौटते अपनी जान गंवाने वालों की मदद का अखिलेश यादव ने एलान किया है और ऐसे पीड़ित परिवारों को पार्टी की ओर से एक लाख रुपये की मदद दे रहे हैं। इसी क्रम में गज़ीपुर के मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के गौसपुर निवासी राजू यादव और सुर्यदेव यादव की लॉक डाउन में सड़क दुर्घटना में मौत के बाद उनको एक लाख रुपये की आर्थिक मदद सपा सुप्रीमो की ओर से परिवार के खाते में दी गयी। इस बाबत अखिलेश यादव की ओर से जिलाध्यक्ष रामधारी सिंह यादव को पत्र लिखकर दोनों के परिवारों को इस मदद से अवगत कराने को कहा। साथ ही इस पत्र में यह भी ज़िक्र किया गया कि जिलाध्यक्ष क्षेत्र के राजेश राय तथा क्षेत्र के पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी के साथ दोनो परिवारो से भेंट कर आर्थिक सहायता की जानकारी दें और संवेदना व्यक्त करें। रामधारी सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की कि उन्हें अलाकमान से पत्र के माध्यम से ऐसा निर्देश मिला है।
अखिलेश यादव के इस पत्र में दूसरी पार्टी में होने के बावजूद भी सिबगतुल्लाह अंसारी के नाम के ज़िक्र ने सियासी गलियारों में नई अटकलों को बल दे दिया है। अब देखना यह है कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के पहले समाजवादी कुनबे को विस्तार देने में जुटे अखिलेश किस किस को सायकिल की सवारी कराने में कामयाब होते हैं।