गाज़ियाबाद

करोड़ों के आशियाने खरीदने पर भी नहीं मिल रही मूलभूत सुविधाएं, अब आंदोलन की तैयारी में हजारों लोग

Highlights:
-राजनगर एक्सटेंशन में हैं करीब 60 हाईराइज सोसायटी
-45 सोसायटी में लोग रहते हैं और 15 अभी अंडर कंस्ट्रक्शन हैं
-निवासियों का आरोप है कि उन्हें कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है

गाज़ियाबादDec 23, 2020 / 01:22 pm

Rahul Chauhan

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। जनपद की पॉश इलाका कहलाए जाने वाले राजनगर एक्सटेंशन में करीब 45 ऐसी हाईराइज सोसाइटी हैं, जिनमें करीब तीन लाख लोग पिछले 15 साल से रह रहे हैं। जबकि 15 सोसाइटी ऐसी हैं। जो अंडर कंस्ट्रक्शन है। इन सोसाइटियों में रहने वाले लोगों का आरोप है कि उन्हें भारत सरकार या उत्तर प्रदेश सरकार की कोई भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। लोगों का कहना है कि राजनगर एक्सटेंशन की सोसाईटियों को हैंडोवर नहीं किया गया है। उसके बावजूद भी यहां पर हाउस टैक्स लागू कर दिया गया है और यदि नगर निगम को यह सोसाइटी हैंडोवर कर दी गई हैं तो फिर यहां नगर निगम के द्वारा मिलने वाली सुविधाएं लोगों को नहीं मिल रही हैं। जिसके चलते वह अब आंदोलन करने को मजबूर हैं।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर कोई सेंट्रल पार्क नहीं बनाया गया है। जिसमें बुजुर्ग अपना समय व्यतीत कर सकें। इसके अलावा प्लेग्राउंड, पोस्ट ऑफिस भी यहां पर नहीं है। यहां सामुदायिक केंद्र भी नहीं है और इंटरनल कनेक्टिविटी का भी अभाव है। इसके अलावा जिस हिसाब से इस कॉलोनी की आबादी है और यहां से निकलने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है, उस हिसाब से यहां कनेक्टिविटी भी एक रास्ते के अलावा दूसरी नहीं है। यहां पर एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए फुटओवर ब्रिज या अंडरपास भी नहीं है और तेज वाहनों की रफ्तार के बीच से ही सड़क पार करनी पड़ती है। जिसके कारण आए दिन यहां हादसे होते हैं। क्योंकि एलिवेटेड रोड से आने वाला ट्रैफिक भी इसी रोड से निकलता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस इलाके में कोई सार्वजनिक शौचालय भी नहीं है।
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यहां की सभी 45 सोसायटियों की आरडब्ल्यूए फेडरेशन के अध्यक्ष एडवोकेट गजेंद्र आर्य ने बताया कि इन तमाम समस्याओं के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण जिला प्रशासन और सरकार को पत्राचार किया जा चुका है लेकिन अभी तक भी इस तरफ किसी का कोई ध्यान नहीं गया है। आरोप है कि स्थानीय पार्षद को भी इस बात की पूरी जानकारी है और इस वार्ड में सबसे ज्यादा मतदाता भी हैं। लेकिन उसके बाद भी इससे किसी का कोई ध्यान नहीं गया है। गजेंद्र आर्य का कहना है कि यदि जल्द ही इस तरह किसी का कोई ध्यान नहीं गया तो यहां के लोगों का गुस्सा प्रशासन को देखने को मिल सकता है।

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