स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर कोई सेंट्रल पार्क नहीं बनाया गया है। जिसमें बुजुर्ग अपना समय व्यतीत कर सकें। इसके अलावा प्लेग्राउंड, पोस्ट ऑफिस भी यहां पर नहीं है। यहां सामुदायिक केंद्र भी नहीं है और इंटरनल कनेक्टिविटी का भी अभाव है। इसके अलावा जिस हिसाब से इस कॉलोनी की आबादी है और यहां से निकलने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है, उस हिसाब से यहां कनेक्टिविटी भी एक रास्ते के अलावा दूसरी नहीं है। यहां पर एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए फुटओवर ब्रिज या अंडरपास भी नहीं है और तेज वाहनों की रफ्तार के बीच से ही सड़क पार करनी पड़ती है। जिसके कारण आए दिन यहां हादसे होते हैं। क्योंकि एलिवेटेड रोड से आने वाला ट्रैफिक भी इसी रोड से निकलता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस इलाके में कोई सार्वजनिक शौचालय भी नहीं है।
यह भी देखें: अपनी मांगो को लेकर नोएडा-दिल्ली बार्डर पर किसानों का भूख हड़ताल यहां की सभी 45 सोसायटियों की आरडब्ल्यूए फेडरेशन के अध्यक्ष एडवोकेट गजेंद्र आर्य ने बताया कि इन तमाम समस्याओं के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण जिला प्रशासन और सरकार को पत्राचार किया जा चुका है लेकिन अभी तक भी इस तरफ किसी का कोई ध्यान नहीं गया है। आरोप है कि स्थानीय पार्षद को भी इस बात की पूरी जानकारी है और इस वार्ड में सबसे ज्यादा मतदाता भी हैं। लेकिन उसके बाद भी इससे किसी का कोई ध्यान नहीं गया है। गजेंद्र आर्य का कहना है कि यदि जल्द ही इस तरह किसी का कोई ध्यान नहीं गया तो यहां के लोगों का गुस्सा प्रशासन को देखने को मिल सकता है।