इन कारणों से होता है कमर दर्द
जेपी हाॅस्पिटल के स्पाइन स्पेशलिस्ट डाॅ प्रमोद सैनी ने घर या आॅफिस में एक ही पोजिशन में काम करने की वजह से पीठ दर्द की शुरूआत होती है। हमारी पीठ की संरचना बहुत जटिल होती है, यह पेशियों, लिगामेन्ट, टेंडन, हड्डियों से बनी होती है। इनमें से किसी भी हिस्से में परेशानी पीठ दर्द का कारण बन सकती है। हेवी लिफ्टिंग, बार-बार हिलने डुलने या घण्टों एक ही जगह पर बैठे रहने से भी दर्द बढ़ जाता है। इसका सबसे मुख्य कारण लम्बे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना पीठ दर्द का कारण बन जाता है।
कमर की बिमारी जानलेवा तक बन सकती है। डाॅ प्रमोद सैनी के मुताबिक कमर में को पोजिशन सेट करनी वाली जगह जैली की तरह होती है। ओवर वेट और मधुमेह के पेशेंट अकसर इसे इग्नोर करते है। ऐसे में यहां इन्फेंक्शन होने पर जैली को नुकसान पहुंचता है। इसकी वजह से यहां पर कैंसर की गंथी पैदा होना शुरू हो जाती है। इसलिए अगर दो महीने से अधिक तक लगातार दर्द एक ही जगह पर बना रहता है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। अगर समय पर टेस्ट करा लिया गया औऱ कैंसर के तथ्य पाए जाते है तो शुरूआत में दवाईयों से इसे खत्म किया जा सकता है।
स्पाइनल स्पेशलिस्ट का मानना है कि जो लोग स्मोकिंग करते है उनके साथ में पीठ की मासपेशियां के स्लिप की समस्या अधिक होती है। औसतन एक दिन में ऐसे चार मरीज सामने आते है जोकि स्मोकिंग करते है और इस समस्या से जूझ रहे है। स्मोकिंग करने की वजह से रक्ति ध्वनि कमजोर होती है और जैली को पानी में तब्दील करती है। जैली के खत्म होने पर शरीर का फैटी हिस्सा स्पाइन को टच करता है और मांसपेशियों के स्लिप की शुरूआत हो जाती है। अगर मासपेंशियो के स्लिप को सहीं रूप में नहीं देखा गया तो तो यह गंभीर अपंगता का कारण बन सकता है। इस तरह की अपंगता व्यक्ति केे जीवन की गुणवत्ता पर बुरा असर डालती है।
डॉक्टरों के मुताबिक जो लोग स्लिप या बैकपैन से जूझ रहे है वो तीन तरीके से इससे बच सकते है। पहला व्यायाम, दूसरा इंजेक्शन औऱ तीसरा सर्जरी करके। व्यायाम करने के दौरान अगर लोग ऑफिस में बैठकर काम करते है तो लगातार अपनी कार्यशैली को बदलते हुए थोड़ी देर का रेस्ट लेते रहे। इसके अलावा सुबह और शाम के समय मोनिक वॉक के लिए जाए। इसकी वजह से बंद हुए ध्वनि फिर से खुलती है। इसके अलावा अगर समस्या फिर भी बनी रहती है तो इंजेक्शन औऱ दवाईयां देकर सहीं किया जा सकता है। अगर पीठ दर्द के दौरान इन्फेक्शन की स्थिति बन गई है इसे सर्जरी के जरिए सहीं किया जा सकता है। डाॅ सैनी के मुताबिक ‘केवल पांच से दस फीसदी मरीज़ों को ही सर्जरी की ज़रूरत होती है।