8 महीनों से अटकी थी परियोजना
पिछले 8 महीनों से पर्यावरण स्वीकृति में लटकी यह परियोजना बड़े लम्बे समय से फीता कटने का इंतजार देख रही है। गणतंत्र दिवस से लेकर यूपी दिवस तक तमाम बड़े दिनों में इस परियोजना के शुरू होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन प्रदेश सरकार खुद इस परियोजना को जल्द से जल्द शुरू कराने की फिराक में थी। इसी के तहत राज्य की एंवायरमेंटल इम्पैक्ट एसेसमेंट कमेटी ने इसे पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर जल्द इस परियोजना को शुरू करने की हरि झंडी दे दी।
पिछले 8 महीनों से पर्यावरण स्वीकृति में लटकी यह परियोजना बड़े लम्बे समय से फीता कटने का इंतजार देख रही है। गणतंत्र दिवस से लेकर यूपी दिवस तक तमाम बड़े दिनों में इस परियोजना के शुरू होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन प्रदेश सरकार खुद इस परियोजना को जल्द से जल्द शुरू कराने की फिराक में थी। इसी के तहत राज्य की एंवायरमेंटल इम्पैक्ट एसेसमेंट कमेटी ने इसे पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर जल्द इस परियोजना को शुरू करने की हरि झंडी दे दी।
मई से शुरू हो सकता है भारत का सबसे बढिया एक्सप्रेस वे, 120 की स्पीड से दौड़ेंगी गाड़ियां 11 सौ करोड की है परियोजना
सिंगल पिलर पर बनने वाली देश की सबसे लम्बी सडक़ को करीब 8 महीनें का इंतजार करना पडा। इस परियोजना पर 11 सौ करोड की लागात आई है। इस परियोजना के शुरू होने से मेरठ से दिल्ली और दिल्ली से मेरठ की ओर आने वाले करीब 2 लाख 50 हजार वाहनों को राहत मिलेगी। इसके अलावा शहर को 30 प्रतिशत जाम से मुक्ति मिलेगी।
सिंगल पिलर पर बनने वाली देश की सबसे लम्बी सडक़ को करीब 8 महीनें का इंतजार करना पडा। इस परियोजना पर 11 सौ करोड की लागात आई है। इस परियोजना के शुरू होने से मेरठ से दिल्ली और दिल्ली से मेरठ की ओर आने वाले करीब 2 लाख 50 हजार वाहनों को राहत मिलेगी। इसके अलावा शहर को 30 प्रतिशत जाम से मुक्ति मिलेगी।
यूपी के इस प्राधिकरण ने फंड बचाने के लिए उठाए ये कदम, हुई पांच करोड़ की बचत परियोजना पर एक नजर 20 सितम्बर 2013 को बोर्ड से इस परियोजना को मंजूरी दी। 1142 करोड़ की डीपीआर तैयार कराई गई। तीस जनवरी 2014 को बोर्ड से डीपीआर हुई मंजूर। दो जून 2014 को लागत में संशोधन कर 1147 करोड़ का बोर्ड से प्रस्ताव पास हुआ। 18 अक्टूबर 2014 को टेंडर जारी किया गया। टेंडर निर्माण एजेन्सी मैसर्स नवयुगा इजीनियरिंग कम्पनी हैदराबाद को दिया गया। दो नवम्बर 2014 को प्रोजेक्ट का काम शुरू किया गया। निगरानी के लिए कन्सलटेंट के रूप में मैसर्स स्तूप मुम्बई को नामित किया गया। एसीआर से प्रोजेक्ट के लिए 700 करोड़ का कर्ज लिया गया।
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जीडीए वीसी का कहना
जीडीए उपाध्यक्ष रितू माहेश्वरी ने बताया कि गाजियाबाद में एलिवेटिड रोड को एनओसी मिल गई है। जल्द ही इस पर वाहन दौंड़गे। सीएम योगी आदित्यनाथ से इसके उद्घाटन के लिए शासन को लेटर भेजा गया है।
जीडीए वीसी का कहना
जीडीए उपाध्यक्ष रितू माहेश्वरी ने बताया कि गाजियाबाद में एलिवेटिड रोड को एनओसी मिल गई है। जल्द ही इस पर वाहन दौंड़गे। सीएम योगी आदित्यनाथ से इसके उद्घाटन के लिए शासन को लेटर भेजा गया है।