पहले बैकग्राउंड समझते हैं…
राजस्थान के श्री गंगानगर का रहने वाला एक लड़का है जिसका नाम इन्द्रराज है। इन्द्रराज के पिता का नाम चुन्नीराम है। इन्द्रराज बचपन से ही आदतन चोर है। घर, परिवार और रिश्तेदारों के यहां छोटे-मोटे हाथ मार लेना और चोरी करना इसके आदत में शुमार है। इन्द्रराज के परिवार ने साल 2005 में उसे अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया।चोरी की आदत छूटे कैसे?
इन्द्रराज को बिना मेहनत किये रोटी की स्वाद उसके जबान पर चढ़ गया था। ये आदत उसकी फितरत बन गई। अब वो खाने, रहने और जीने के लिए नई तरकीब निकाल लाया। पहले वो किसी थाने में जाता और वहां के पुलिस वालों से गुहार लगाता कि मेरा अपहरण हुआ है और किसी तरह मैं भाग कर आया हूं। कई सालों से मैं लापता हूं और मुझे मेरे परिवार से मिला दीजिये।पुलिस की मेहमाननवाजी का फायदा उठाता
इसके बाद पुलिस मामले को शहर के अखबारों और प्रसार माध्यमों में बताती और जिनके भी परिवार से लोग गुमशुदा हैं वो थाने आते। गौरतलब है कि इतने दिनों तक पुलिस इन्द्रराज की मेजबानी करती और इन्द्रराज इस मेहमाननवाजी का भरपूर फायदा उठाता रहा।भावनाओं का खेल
परिवार वाले जब थाने आते तो इन्द्रराज उनके हावभाव को नोटिस करता और उनकी बातों को बेहद गंभीरता से परख लेता और उनकी बातों पर हां में हां मिलाता जाता। फिर क्या ? जिसके परिवार का कोई गुमशुदा हो और मिल जाए तो भावनाओं का छलकना लाजमी है। बस इसी भावनाओं का फायदा उठाकर इन्द्रराज कभी भीम, कभी राजू बन जाता।परिवार तोड़कर प्रॉपर्टी पर नजर
इस काम में वो इतना माहिर हो गया था कि गंगानगर, देहरादून, सीकर, गाजियाबाद और जैसलमेर में कुल नौ परिवारों के साथ कभी बेटा, कभी भाई तो कभी दूर का रिश्तेदार बनकर घुस जाता और उसके बाद परिवार की प्रॉपर्टी और अन्य कीमती सामानों पर बगुले की आंख की तरह ध्यान लगाए रहता था।Mystery Boy इन्द्रराज का हुआ भंडाफोड़
इन्द्रराज अपने ने ठिकाने की तलाश में गाजियाबाद पंहुचा। 24 नवंबर को खेड़ा थाने पर पंहुचा और अपने पैटर्न के अनुसार कहानी बताई। पुलिस ने उसके रहने और खाने का इंतजाम किया। साहिबाबाद के एक परिवार ने उसे स्वीकार कर लिया। इसे विस्तार से जानने के लिए… यह भी पढ़ें