आपने अक्सर एक कहावत सुनी होगी ‘चोर-चोर मौसेरे भाई’ लेकिन आपने शायद ही कभी चोर पुलिस की दोस्ती के बारे में सुना होगा। गाजियाबाद मे एक ऐसी घटना सामने आई है जिसमें बस चोर और पुलिस ही नहीं बल्कि सफेदपोश नेता जी भी शामिल पाए गए। खाकी-खादी और चोर की इस तिकड़ी ने सबको हैरानी में डाल दिया है।
पात्र परिचय
अमूमन पात्र परिचय आपने कहानियों, नाटकों और फिल्मों में देखा होगा। यह कहानी भी फिल्मी होकर भी हकीकत है। घटना का मुख्य आरोपी मोहतरम पेशे से डॉक्टर है। मेरठ के लोहियानगर थाने के नूर गार्डन निवासी मोहम्मद आरिफ का बेटा है। दूसरा आरोपी है मोहम्मद आरिफ जो मुख्य आरोपी मोहतरम के पिता और शमशुद्दीन का पुत्र है। मुख्य आरोपी मोहतरम ने अपने पिता के साथ-साथ अपने दोस्त नदीम को भी अपने साथ लिया। अन्य तीन आरोपी वर्दीधारी उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान हैं। हापुड़ में तैनात अनिल कुमार, आगरा कमिश्नरेट में तैनात सचिन कुमार और अंकुर विहार थाने के संजय कुमार। इन सिपाहियों ने अपने तैनाती के दौरान देश के सुरक्षा की शपथ ली थी। पीड़ित पक्ष मुख्य अभियुक्त का रिश्तेदार है। मोहम्मद शादाब और मोहम्मद मेहराज भाई हैं। इनका जीजा घटना का मुख्य आरोपी मोहतरम है। मोहतरम ने अपने सालों को लूटने की योजना बनाई। मोहम्मद शादाब और मेहराज की कहानी अजय देवगन के दिलवाले फिल्म के डायलाग ‘मुझे अपनों ने लूटा,गैरों में कहां दम था’ पर बिल्क़ुल फिट बैठती है।
क्या है पूरा मामला?
मोहतरम को इस बात का अंदाजा लग गया था कि उनके साले मोहम्मद शादाब और मोहम्मद मेहराज के पास बहुत पैसा है। उसने अपने सालों से पैसा हड़पने का प्लान बनाया। मुख्य आरोपी मोहतरम ने अपने सालों से कहा कि मैं ऐसे लोगों को जानता हूं जो भारतीय पैसे को दुबई के करेंसी में डबल करते हैं। उसने दावा किया कि वो भी अपने चार लाख रुपये डबल करवा रहा है फिर क्या था पैसों के डबल होने का लालच और अपने जीजा के भरोसे से दोनों भाई मोहतरम के झांसे में फंस गए। शादाब और मेहराज अपने बहनोई मोहतरम को पैसे देने को राजी हो गए। अपने प्लान के अनुसार मोहतरम अपने दोनों सालों को पैसा एक्सचेंज करने लेकर निकला। चार लाख रुपये शादाब के चार लाख मेहराज के और साढ़े चार लाख खुद मोहतरम ने मिलाया कुल साढ़े बारह लाख रुपये का दो पैकेट। गजियाबाद के वेव सिटी थाने में IMS कॉलेज के पास मोहतरम अपने साले शादाब के साथ पंहुचा। बिना नंबर के एक सफेद फार्चूनर आई जिसमे आरोपी सिपाही अनिल, सचिन और संजय थे। इनके साथ नदीम भी था। ये चारों पैसे लेकर रफू-चक्कर हो गए।
शादाब ने दी पुलिस को सूचना
पैसे डबल नहीं मिलने पर शादाब और उसका जीजा मोहतरम ने तुरंत नजदीकी थाना वेव सिटी को सूचना दी। 28 अगस्त को शादाब ने पुलिस को बताया कि भारतीय पैसे को दुबई करेंसी में डबल करने के लिए वो अपने जीजा के साथ IMS कॉलेज के पास आया था। यहां दो वर्दीधारी और दो अज्ञात लोग एक बिना नंबर वाली सफेद फॉर्चूनर से आये और उसके भाई और बहनोई के साढ़े बारह लाख रुपये लूट लिए। यह भी पढ़ें