गाज़ियाबाद

Diwali 2024 Date: दिवाली की तिथि में बदलाव, आध्यात्मिक गुरु ने बताया क्यों शुभ है 1 नवंबर

Diwali 2024 Date: दिवाली को फिर से एक बार भ्रम की स्थिति हो गई है। आध्यात्मिक गुरु पवन सिंह ने दिवाली को 1 नवंबर को मनाने की बात कही है। साथ ही, इसके पीछे का कारण भी बताया है।

गाज़ियाबादOct 27, 2024 / 08:36 am

Sanjana Singh

Diwali 2024 date

Diwali 2024 Date: 2024 में दीपावली कब मनाई जाएगी, इसे लेकर अभी भी सभी असमंजस में हैं। अब तक लोग यह तय नहीं कर पाए हैं कि दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी या 1 नवंबर को। आध्यात्मिक गुरु पवन सिंह ने इस उलझन को लेकर अपना मत स्पष्ट किया। 
पवन सिंह ने कहा, “इस बार लोग इस बात को लेकर काफी असमंजस में हैं कि दीपावली किस दिन मनाएं। आम तौर पर दीपावली अमावस्या को मनाई जाती है। अमावस्या 31 तारीख को अपराह्न 3:30 के आसपास पड़ेगी, लेकिन उस दिन सूर्योदय की तिथि अमावस्या में नहीं है। अगले दिन 1 नवंबर को शाम करीब 6:15 बजे तक अमावस्या है।”

क्यों 1 नवंबर को दिवाली मनाना है शुभ?

आध्यात्मिक गुरु पवन सिंह ने कहा, “इस बार कुछ लोग 31 अक्टूबर तो कुछ 1 नवंबर को दीपावली मनाएंगे। प्रदोष पूजा का बहुत महत्व है। सूर्योदय के साथ जो पूजा तिथि पड़ रही है, वह 1 नवंबर को है। मेरा सुझाव है कि इस बार दीपावली 1 नवंबर को मनाएं। शुभ मुहूर्त आते ही पूजा करें। लग्न में दीपावली पूजा करेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। इसकी बजाय उदया तिथि अमावस्या से मेल नहीं खाती है तो आप जो चाहें करें, भगवान कभी नाराज नहीं होते। लेकिन त्यौहार का बहुत महत्व है और दीपावली के दिन का बहुत महत्व है। इसे मुहूर्त के अनुसार मनाना चाहिए। उदया तिथि 1 नवंबर को है। इसलिए दिवाली 1 नवंबर को मनाई जानी चाहिए।”
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29 को धनतेरस तो 30 को मनेगी छोटी दिवाली

धनतेरस, छोटी दिवाली, गोवर्धन और भाई दूज की तिथि बारे में बता दें। दीपावली का त्योहार धनतेरस के दिन से ही शुरू हो जाता है। इस साल धनतेरस 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन सोना-चांदी खरीदने के अलावा घर के लिए झाड़ू खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है। इसके अगले दिन यानी 30 अक्टूबर को छोटी दिवाली मनाई जाएगी। दीपावली के बाद 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा होगी और अगले दिन यानी 3 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दीपावली का त्यौहार पहली बार तब मनाया गया था जब भगवान राम रावण को हराकर अयोध्या लौटे थे। उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या थी और नगर के लोगों ने घी के दीये जलाकर अपने प्रभु श्री राम की अयोध्या वापसी का जश्न मनाया था।

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