ताराचंद ने जेल में अपना नाम बाबू तो बाबू ने तारांचद बता दिया। ऐसे में जमानत का आदेश आया एक की जगह दूसरा छूटकर बाहर चला गया। कोर्ट में तारीख पर मामले का खुलासा हुआ।
दोनों कैदियों के पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं था
जेलर आलोक सिंह ने बताया, “दोनों को जब जेल लाया गया था तब दोनों में से किसी के पास कोई दस्तावेज नहीं था। जिस वजह से दोनों ने अपने जो नाम बताए वहीं रजिस्टर में लिखे गए। इस गलती की वजह से बाबू के रिहाई आदेश पर ताराचंद पहले ही छूटकर चला गया।
जेलर आलोक सिंह ने बताया, “दोनों को जब जेल लाया गया था तब दोनों में से किसी के पास कोई दस्तावेज नहीं था। जिस वजह से दोनों ने अपने जो नाम बताए वहीं रजिस्टर में लिखे गए। इस गलती की वजह से बाबू के रिहाई आदेश पर ताराचंद पहले ही छूटकर चला गया।
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10 जनवरी को बाबू के रिहाई के कार्ड पर खेल गया ताराचंद
गढ़मुतेश्वर कोर्ट ने ताराचंद को जमानत दी और कोर्ट के आदेश के बाद बाबू को 10 जनवरी को रिहा कर दिया गया। इसके बाद 11 जनवरी को कोर्ट में ताराचंद की पेशी हुई। पेशी के दौरान पता चला कि उसकी तो जमानत हो चुकी है।
इसके बाद जांच की गई और ये बात जेल अफसरों तक पहुंची। इसके बाद कैदियों के नाम सही पता चले। कोर्ट ने अब आदेश दिया है कि ताराचंद को गिरफ्तार करके दोबारा जेल भेजा जाए क्योंकि उसकी जमानत नहीं हुई है।