गाज़ियाबाद

Farmers Protest : गड्‌ढे खोदकर सांकेतिक समाधि लेने वाले तीन किसानों की बारिश के चलते हालत बिगड़ी

गाजियाबाद के लोनी में कृषि कानून में संशोधन और जमीन के उचित मुआवजे की मांग को लेकर 17 किसान सांकेतिक समाधि लेने के लिए तीन दिन से गड्‌ढों में बैठे।

गाज़ियाबादSep 18, 2021 / 05:08 pm

lokesh verma

गाजियाबाद. लोनी इलाके में कृषि कानून में संशोधन की मांग को लेकर और मंडोला विहार योजना के अंतर्गत की गई अधिग्रहण भूमि के उचित मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठे तीन किसानों की बारिश में भीगने के कारण तबीयत बिगड़ गई है। चिकित्सकों को बुलवाकर आनन-फानन पीड़ित किसानों का उपचार कराया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि जो 17 किसान सांकेतिक समाधि लेने के लिए गड्ढों में बैठे थे। वे बारिश का पानी भरने के बावजूद भी लगातार जमे हुए हैं। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, तब तक वह यहां से उठने वाले नहीं हैं।
बता दें कि गाजियाबाद के लोनी इलाके में आवास विकास परिषद ने मंडोला विहार योजना के तहत करीब 6 गांव की 2614 एकड़ जमीन ली गई थी। लेकिन, 6 गांव के करीब 2000 किसान मुआवजे राशि से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। किसानों का कहना है कि नई नीति के आधार पर मुआवजा दिया जाए। वह मुआवजे की मांग को लेकर करीब 5 साल से धरने पर बैठे हैं। कई तरह की एक्टिविटी किसानों ने की है, लेकिन उसके बावजूद भी कोई हल नहीं निकल सका है। इसके बाद किसानों ने धरना स्थल पर ही गड्ढे खोदकर सांकेतिक समाधि लेने का ऐलान किया था और गड्ढे खोदकर 17 किसान अंदर लेट गए। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से भारी सुरक्षा बल भी तैनात किया गया। इन गड्ढे में लेटे किसानों के ऊपर सुरक्षाबलों ने मिट्टी नहीं गिरने दी थी। अचानक हुई बारिश के बाद इन गड्ढों में पानी भर गया है। उसके बावजूद भी किसान टस से मस नहीं हुए हैं। आखिरकार इन किसानों में से तीन की हालत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद चिकित्सक को बुलाकर उनका उपचार कराया जा रहा है। किसानों का कहना है कि जब तक इनकी समस्या का कोई समाधान नहीं होता तो यहां से हिलने वाले नहीं हैं।
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उपजिलाधिकारी शुभांगी शुक्ला का कहना है कि चिकित्सकों को रोजाना अनशन पर बैठे लोगों की जांच के लिए निर्देशित किया गया है। सभी किसानों का मेडिकल परीक्षण भी कराया जाता है। किसानों से वार्ता करने के लिए जिलाधकारी ने भी समय दिया, लेकिन किसी कारणवश किसानों से वार्ता नहीं हो पाई है।
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