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इतना ही नहीं, शादी समारोह में भी इनके द्वारा बनाए गए मिट्टी के बर्तन आज भी इस्तेमाल किए जाते हैं जिन्हें लोग बेहद पसंद भी करते हैं और इनके द्वारा बनाया गया पानी का घड़ा प्राचीन समय से ही बेहद लोकप्रिय रहा है। माना जाता है कि मिट्टी के घड़े का पानी अपने आप ही ठंडा रहता है और इस घड़े का पानी पीने से लोगों को गर्मी से राहत तो मिलती ही है, साथ ही इसके पानी पीने से लोगों का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। इसीलिए इनके द्वारा बनाया गए मटके को देसी फ्रिज भी कहा जाता हैं। इन कुम्हारों के द्वारा यह सब आज भी बनाया जा रहा है। लेकिन कोविड-19 के चलते इनके कारोबार पर भी ग्रहण लग गया है। कुम्हारों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के बाद उनका धंधा पूरी तरह चौपट हो गया है। भले ही सरकार के द्वारा लॉकडाउन खोल दिया गया है और सभी लोगों के काम धंधे की शुरुआत हो गई है। लेकिन इनका धंधा आज भी पूरी तरह बंद है। क्योंकि सरकार ने शादी समारोह पर भी बैन लगा दिया है और इस दौरान काफी संख्या में हलवाई की दुकान भी बंद हो गई है। इसलिए अब उनके द्वारा बनाये गए कुल्लड़ या अन्य सामान शादी समारोह और हलवाई की दुकान पर भी नहींं जा रहा है। जिसके बाद यह लोग बेहद परेशान हैं और इन्हेंं अपना जीवन यापन करना भी बड़ा मुश्किल हो रहा है। इनका कहना है कि सरकार द्वारा इनकी तरफ कोई भी ध्यान नहीं दिया गया है।
यह भी पढ़ें: Lockdown में कंपनी ने तनख्वाह देनी की बंद तो चुरा लिया डाटा, अब तक लगा चुके लाखों का चूना इस बारे में खेमचंद नामक एक कुम्हार ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि उनके द्वारा जो भी बर्तन या खिलौने बनाए गए थे। इस दौरान उन्हें कोई भी खरीदने के लिए तैयार नहीं है। इनके पास जो काफी मात्रा में बना हुआ सामान पड़ा है वह ना बिकने के कारण खराब भी हो रहा है या टूट रहा है। इन दिनों केवल उनके द्वारा बनाया गया मटका ही बिक पा रहा है। लेकिन अकेले एक ही सामान को बेचे जाने के बाद उनका परिवार नहीं चल पा रहा है। इसलिए अब उनके बच्चे और महिलाएं ईट भट्टे पर कंधों पर ईंट लादकर अपने बच्चों का भरण पोषण करने को मजबूर है।