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दहेज लोभी पति के ठुकराने के बाद दर-दर की ठोकरें खा रही है 5 बच्चों की विकलांग मांपिछले 25 साल में कई सरकारें और दर्जनों अधिकारी भी बदल गए, लेकिन अभी तक उस विद्यालय की हालत में कोई सुधार नहीं आया है। 25 सालों से लगातार शिकायत करने के बाद भी आज तक जर्जर स्कूल और क्लासों की हालत को सही नहीं कराया गया। 25 साल हो गए और आज भी स्कूल में सैकड़ों मासूम मौत के मुंह में पढ़ाई कर रहे हैं। विद्यालय की हालत आज भी ऐसी है कि किसी भी समय कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।
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VIDEO: गांव की लड़की ने पूरे विश्व में बजाया भारत का डंका, इस खेल में दिलाया गोल्ड मेडल अधिकारियों की मनमानी के चलते आज भी 106 बच्चे खुली छत के नीचे पढ़ने के लिए मजबूर हैं। लापरवाही के कारण ही अधिकारी भी इन मासूमों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसलिए तो 25 सालों से हो रही शिकायतों का आज तक किसी भी अधिकारी ने कोई संज्ञान नहीं लिया। जिसके चलते आज भी मासूम छात्रों में डर का माहौल बना हुआ है। छात्रों ने बताया कि आज तक कोई भी अधिकारी विद्यालय में कुछ चैक करने नहीं आया है। बरसात में विद्यालय में पानी भी भर जाता है, जिस कारण हमें बाहर बैठकर पढ़ना पड़ता है।
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मर्चेंट नेवी की ट्रेनिंग के लिए बेटे को भेजा था मलेशिया, अब शव लाने के लिए विदेश मंत्री से गुहार लगा रहा परिवार आपको बता दें कि शहर के हमीद कन्या प्राथमिक पाठशाला में 106 छात्र हैं। सभी छात्र मौत के डर के साये में पढ़ने को मजबूर हैं। भवन के कमरों की छत की हालत जर्जर है। ये छतें कभी भी ढह सकती हैं। यही नहीं, जर्जर छत को छिपाने के लिए रंगाई-पुताई भी कराई गई है। फिर भी हालत छिपाए नहीं छिप रही। जब हमारी टीम ने पाठशाला में जाकर देख तो हैरान कर देने वाला सच सामने आया।
यह भी देखें-हॉस्पिटल में जान से खिलवाड़ का वीडियो वायरल, स्वास्थ्य विभाग ने जड़ा ताला करीब 106 छात्र अपनी क्लासों के बाहर धूप में बैठ कर पढ़ रहे थे। जिनको पीने तक के लिए पानी भी नहीं था। जब इस बारे में शिक्षकों से पूछा गया तो शिक्षकों ने बता कि पाठशाला की जर्जर हालत के बारे में विभाग को कई बार बताया जा चुका है। लेकिन अभी तक विभाग द्वारा कोई पहल नहीं की गई है, जिससे मजबूरन हमें बच्चों को जर्जर छत के नीचे बैठाकर पढ़ाना पड़ रहा है। जब इस बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारी एबीएसए शरद से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि मामला बीएसए के संज्ञान में है जैसे ही उनका आदेश आएगा हम बच्चों को शिफ्ट करा देंगे।