इन राशि वालों की इस साल बदलेंगी किस्मत, जानिए कैसा रहेगा आपका यह साल एनसीआर का अनूठा शिवलिंग भी है यहां मंदिर में 108 शिवलिंगों के साथ एक 40 टन का विशाल शिवलिंग भी है, जो पूरे एनसीआर में अनूठा है। डासना के प्राचीन देवी मंदिर में भगवान परशुराम द्वारा स्थापित शिवलिंग विद्यमान है। बताया जाता है कि महाभारत काल में माता कुंती के साथ पांडव लाक्षागृह से निकलने के बाद यहां रुके थे। रामायण काल में भगवान परशुराम ने इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी।
त्रेता युग का गवाह रह चुका है यह मंदिर, रावण लाया था मां की मूर्ति विदेशी आक्रमणकारियों ने भी किया था हमला मंदिर के पौराणिक महत्व को बताते हुए महंत नरसिंहानंद ने कहा कि जिस समय हिंदू धर्म का स्वर्णिम युग चल रहा था, उस समय यह मंदिर प्रमुख तीर्थ स्थलों में शुमार हुआ करता था। विदेशी आक्रमणकारियों के हमले में मंदिर को क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद उस समय के पुजारियों ने माता की मूर्ति को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए सरोवर में छिपा दिया था। बहुत समय बाद स्वामी जगदगिरि महाराज को माता ने सपने में दर्शन देकर तालाब में मूर्ति की बात से अवगत कराया और पुनः स्थापना के लिए आदेश दिया। इसके बाद तालाब से मूर्ति को निकाल कर पुनः प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित कराया गया।
जानिए, क्या है माता शैलपुत्री की कथा नवरात्र पर उमड़ती है भीड़ डासना स्थित प्राचीन देवी मंदिर में नवरात्र के मौेके पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। अष्टमी और नवमी के दिन तो हजारों लोग देवी मां के दर्शन के लिए आते हैं। महंत नरसिंहानंद ने बताया कि यहां लोग अपने परिवार के लोगों की सुख शांति के लिए प्रचंड चंडी देवी से दुआ मांगते हैं। करीब पांच हजार साल पुराने इस मंदिर में भगवान शिव , नौ दुर्गा, सरस्वती, हनुमान की मूर्ति स्थापित हैं। माना जाता है कि मंदिर प्रांगण में स्थित तालाब में स्नान करने से चर्म रोग व कुष्ठ रोग ठीक हो जाते हैं।