वैसे मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह मंदिर माहाभारतकालीन का है। लेकिन मुगल शासकों ने इसे तुड़वा दिया। लेकिन तब मंदिर के पुजारी ने माता की मूर्ति और शिवलिंग को यहां के तालाब में फेंस कर छुपा दिया। कुछ वर्षों बाद एक पुजारी के सवप्न आया और उसने सपने में सबकुछ देखा। जिसके बाद तलाब में जब खोजा गया तो वाकई में यहां से कमल पर सवार काली मां की मूर्ति मिली।